मुंबई। मुंबई शहर में विषम समय (odd time) के दौरान नशे की हालात में तेज रफ्तार (High speed) से कार चलाना घातक सड़क दुर्घटनाओं (Hit and run) का प्रमुख कारण बनते जा रहा है। यह खुद ट्रैफिक पुलिस और विशेषज्ञ(Traffic police and experts)भी मानने लगे हैं। ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में बीते कुछ सालों में बेवड़े ड्राइवर्स की बारात बढ़ने लगी है। जनवरी से फरवरी इन दो महीनों के बीच 221 बेवड़े चालकों का ई-चालान कटा है। साल 2022 और 2021 की तुलना में इस साल क्रमशः 38 और 24 ऐसे मामले बढ़े हैं, जो लोगों को चौंका रही है। दूसरी तरफ पांच सालों में हिट एंड रन की वजह से 70 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 और 2021 के बीच शहर में 481 राहगीरों से जुड़े 459 हिट-एंड-रन मामले दर्ज किए गए थे। इसी तरह गैर-लाभकारी एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2015 से 2020 तक शहर की सड़कों पर नशे में धुत मोटर चालकों द्वारा टक्कर मारने से 70 की मौतें हुई, जबकि 555 घायल हुए थे। एनसीआरबी की रिपोर्ट (दिल्ली से जारी) में 2015 से 2021 तक शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं के कारण 24 मौतें और 67 घायल होने को दिखाया गया है।
इन समयों पर होता है नशेड़ी ड्राइवर्स की जांच
ट्रैफिक के संयुक्त पुलिस आयुक्त प्रवीण पडवल का कहना है कि वे शहर के सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर विशेष रूप से सप्ताह के अंत और सार्वजनिक छुट्टियों पर नशेड़ी ड्राइवरों के खिलाफ सघन जांच किया जाता है। उनके मुताबिक बीते कुछ वर्षों के मुकाबले साला 2023 के पहले दो महीनों में ई-चालान की हुई कार्रवाई की संख्या में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
पुलिस को ये हैं अधिकार
वकील आदित्य वाई पी सिंह के अनुसार इस खतरे को रोकने के लिए महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत ताकतों का व्यापक आह्वान आवश्यक है। पुलिस मजिस्ट्रेट के माध्यम से या भू-राजस्व के बकाया के रूप में जुर्माने की वसूली की मांग कर सकती है। उनके मुताबिक सरल शब्दों में कहें तो यदि किसी व्यक्ति ने जुर्माना नहीं भरा है, तो पुलिस को उसके कार को जब्त कर दंडात्मक राशि वसूल करने का अधिकार है। राज्य के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित के अनुसार महामारी के बाद पियक्कड़ वाहन चालकों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल होनेवाले ब्रेथ एनालाइजर मशीन में बेहतर तरीकों का पता लगाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
पुलिस हिरासत में रखा जाना चाहिए
राज्य के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित के अनुसार यदि कोई ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके वाहन को जब्त करने की आवश्यकता है और उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने तक पुलिस हिरासत में रखा जाना चाहिए। दुर्घटना संभावित स्थानों पर नशे में ड्राइविंग के खिलाफ अभियान शुरू किया जाना चाहिए।
एक साल के लिए निलंबित होना चाहिए लाइसेंस
पूर्व आईपीएस अधिकारी डी. शिवानंदन ने कहा कि यातायात के तीन बार उल्लंघन के बाद आरोपी का लाइसेंस एक साल के लिए निलंबित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि जुर्माने में वृद्धि भी निवारक के रूप में मदद करेगी। इस बीच पुलिस द्वारा नकदी एकत्र करने की प्रथा को रोका जाना चाहिए क्योंकि इससे भ्रष्टाचार होता है। मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी ने सुझाव दिया कि ट्रैफिक पुलिस को समय-समय पर ड्राइवरों को शिक्षित करना चाहिए।
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