दक्षिण मुंबई में फुटपाथ पर रहने वाले गरीब परिवार (poor people) पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस और मनपा प्रशासन को निर्देश देने से उच्च न्यायालय (bombey highcourt) ने स्पष्ट रूप से नकार दिया है।
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बेघर होना यह एक वैश्विक समस्या है। फुटपाथ (pavements) पर आश्रम लेने वाले परिवार भी इंसान ही हैं। फुटपाथ रह रहे उनके संसार को उजाड़ने का आदेश नहीं दिया जा सकता। ऐसी संवेदनशील भूमिका अपनाते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन की ओर से इस संबंध में की गई विनती को नकार दी है। मनपा क्षेत्र में जगह जगह खोदाई काम पर है कोर्ट ने व्यंग्यात्मक तंज कसा।
कोर्ट ने कहा कि जिस परिसर में बेघर लोग रहते हैं उस जगह पर खोदने का काम शुरू करना और मेट्रो स्टेशन निर्माण का काम शुरू करना मनपा के लिए बहुत आसान है। कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि आप खुद खोदने का काम शुरू करो, सब अपने आप दूर हट जाएंगे। तब फुटपाथ का कोई इस्तेमाल में नहीं कर सकता है। ना ही कोई पद चारी चल सकता है। न ही यहां पर कोई गाड़ी चला सकता है। उसी प्रकार गरीब लोग यहां पर बस्ती नहीं बना सकते हैं। समस्या ही खत्म हो जाए यही बेहतर उपाय है। ऐसे उपरोक्त शब्दों में हाईकोर्ट ने मनपा प्रशासन द्वारा की जा रही खोदाई काम पर टिप्पणी की।
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