किसान यानी अन्नदाताओं(farmar)को उपेक्षित करने पर न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में भुखमरी फैल सकती है। शहरों में रहनेवालों को लगता है कि किराना की दुकानों से अनाज खरीदने से काम चल जाता है, लेकिन उस अन्नदाता की खून-पसीने की पीड़ा को कोई नहीं समझता जो मुश्किलों में रहकर भी दिन-रात मेहनत करके हमारे लिए अनाज पैदा करता है। इन शब्दों में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav thakrey) ने किसानों और कृषि क्षेत्र के महत्व को लेकर राज्य सहित पूरे देश के लोगों को सचेत किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अन्नदाताओं ने अर्थ चक्र को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोरोन काल में ‘वर्क फ्रॉम होम’ की संकल्पना अपनाई गई यदि यही काम किसानों पर लागू होता तो देश का हाल क्या होता? हम सब दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत करते हैं। वही रोटी देनेवाले किसान उपेक्षित हो गए तो क्या होगा? कोरोना से भी ज्यादा भुखमरी का संकट पूरे विश्व में निर्माण हो जाएगा। खुद की चिंता भूलकर किसान राज्य और देश की भूख मिटाने के लिए काम करते हैं।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में कृषि पुरस्कार का वितरण किया गया। इनमें पिछले तीन वर्षों के पुरस्कार शामिल थे। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात, रसद मंत्री छगन भुजबल, कृषि मंत्री दादा भूसे सहित अन्य मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विजेता किसानों का अभिनंदन करते हुए कहा कि हिन्दुस्थान कृषि प्रधान देश है। किसान देश के असली वैभव हैं। दो साल बाद भी हम कोरोना संकट का मुकाबला कर रहे हैं। इस बीच अर्थव्यवस्था गति धीमी पड़ गई थी लेकिन अब धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है।