मुंबई। प्रयागराज में मारे गए खूंखार बदमाश अतीक अहमद का ऐसा आतंक था कि उस पर नजर उठाने वाले को आंखें निकाल लिए जाने का डर रहता था। (Atiq Ahmed became the executioner) इस बात पर यकीन करने के लिए सिर्फ एक घटना ही काफी है। अतीक अहमद ने प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र के चकिया में एक युवक को मुंबई से बुलाकर खाल उधेड़ दी थी। युवक की गलती सिर्फ इतनी थी कि अपने जमीन पर कब्जा करने का विरोध किया था ।
1990 के दशक की चांद बाबा की हत्या के कुछ महीने बाद अतीक अहमद का नाम प्रयागराज में खौफ का पर्याय बन चुका था। ये वो समय था, जब अतीक अहमद बड़ा बाहुबली बनने की राह पर तेजी से चलने लगा था।प्रयागराज में खूंखार बदमाश के रूप में पहचाने जाने वाला अतीक अहमद 90 के दौर में हर वारदात को अपने खूंखार अंदाज में अंजाम देता था। उसके लिए वो सामान्य मारपीट या हत्या की घटना को सरेआम किया करता था, ताकि हर आपराधिक घटना के बाद समाज और सिस्टम के दिल में उसका खौफ बना रहे और बढ़ता रहे।
साजिश के तहत मुंबई से युवक को बुलाया
चांद बाबा की हत्या के बाद जमीनों पर उसके गैंग के द्वारा अवैध कब्जों की शुरुआत हो चुकी थी। चकिया का रहने वाला एक युवक ने अपने जमीन पर कब्जे को लेकर उसका विरोध किया। वो शख्स अतीक के गैंग के सामने न झुकने की बात कहकर मुंबई में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया।पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अतीक ने अपने गुर्गे भेजकर उस शख्स को मुंबई से बुलवाया।गैंगस्टर अतीक चाहता तो गुर्गों के हाथों उस शख्स को धमकाकर, पिटवाकर अपनी बात मनवा सकता था, लेकिन उसने उस युवक को साजिश के तहत चकिया बुलाया।यहा आने के बाद युवक की खाल उधेड़ कर चौराहे पर फेंक दिया था।
Underworld don Dawood and Bishnoi: एजेंसियों के रडार पर दाऊद और बिश्नोई गैंग के गुर्गे
युवक का खाल निकाल कर पुलिस को किया सूचित
प्रयागराज के धूमनगंज पुलिस स्टेशन में तैनात रहे पूर्व पुलिसकर्मी के मुताबिक अतीक ने मुंबई से बुलाकर उस युवक को एक होटल में बुरी तरह मारा। इस दौरान वह युवक चिल्ला रहा था, माफी मांग रहा था, मारपीट के खौफ से वह अपनी जमीन अतीक को फ्री में देने को तैयार हो गया था।अतीक चाहता तो उसे छोड़ देता, लेकिन उसकी आपराधिक मानसिकता वाले दिलो-दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। उसने अपने गुर्गों के जरिए उस युवक के शरीर के एक हिस्से की खाल निकलवा दी। इसके बाद उसे अधमरी हालत में एक चौराहे पर फेंक दिया।इतना ही नहीं अतीक वापस घर पहुंचा। उस समय लैंडलाइन फोन ही हुआ करते थे। माफिया अतीक ने अपने घर से धूमनगंज पुलिस स्टेशन को फोन किया। एक पुलिसकर्मी ने फोन उठाया तो अतीक गालियां देते हुए उसे चौराहे पर फेंका है उसकी खाल निकाल दी है। अभी जिंदा है, ले जाओ। ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये दुर्दांत घटना के रूप में दर्ज होनी चाहिए थी, लेकिन इस मामले में कोई एफआईआर तक नहीं हुई।
पुलिस ने कराया भर्ती लेकिन नहीं दर्ज हुई शिकायत
उस युवक को घायल हालत में इलाज कराने के लिए पुलिस ही उठाकर ले गई थी, लेकिन शिकायत नहीं लिखी गई।जाहिर है, मामला माफिया अतीक अहमद का था और उस समय तक तो वो विधायक भी बन गया था। अपराधी इरादों को सियासत का चोला मिल गया था। इसलिए अतीक का खौफ सिर्फ समाज पर ही नहीं, बल्कि पुलिस और सिस्टम पर भी छा चुका था। इसलिए ये घटना सिर्फ कुछ लोगों की यादों में जिंदा रह सकी।
प्रेम, सौंदर्य, प्रकृति और जीवन के विभिन्न विषयों पर अविस्मरणीय कविता संग्रह है आत्मशारदा