जो इंडिया / मुंबई
महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (NCAP) के तहत 19 अत्यधिक प्रदूषित शहरों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1,754 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया था। इसमें से 640 करोड़ खर्च किए जाने के बावजूद 15 शहरों की वायु गुणवत्ता सुधरने के बजाय और खराब हो गई। मुंबई, ठाणे, संभाजीनगर, जालना, सोलापुर, और नासिक जैसे शहरों में प्रदूषण के सूक्ष्म कण (PM10) की मात्रा बढ़ने से 2.62 करोड़ लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है।
खराब योजना और दिखावटी उपाय बने प्रदूषण बढ़ने की वजह
पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 से 2024-25 तक महाराष्ट्र को 1,754.40 करोड़ रुपये का फंड मिला, जिसमें से 1,271.66 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन केवल चार शहरों में ही वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया, जबकि बाकी 15 शहरों में वातावरण और अधिक जहरीला हो गया।
प्रदूषण रोकने के नाकाफी उपाय
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए, लेकिन ये सभी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं:
प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई
व्यावसायिक वाहनों के शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध
फव्वारों और वर्टिकल गार्डन की स्थापना
बेकरी में कोयला और लकड़ी के उपयोग पर रोक
निर्माण स्थलों को ढकने की अनिवार्यता
ईंधन में मिलावट की जांच के लिए कड़े नियम
10 साल से पुराने व्यावसायिक वाहनों पर प्रतिबंध
हवा की गुणवत्ता दर्शाने वाले साइनबोर्ड
पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे का बयान
पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे ने स्वीकार किया कि केंद्र से मिला फंड स्थानीय प्रशासन द्वारा खर्च किया गया, लेकिन प्रदूषण की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मार्च में जिलेवार बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि इस समस्या की गहराई से समीक्षा की जा सके।
पर्यावरण विशेषज्ञों की राय – दोषियों को मिले सजा
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि थर्मल पावर प्लांट, वाहनों की बढ़ती संख्या और अनियंत्रित निर्माण कार्य प्रदूषण बढ़ाने के प्रमुख कारण हैं। दिखावटी उपायों और बिना समीक्षा के फंड खर्च करने की वजह से हालात बिगड़े हैं। विशेषज्ञों की मांग है कि प्रदूषण फैलाने वाले संस्थानों और व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में लोग इस मुद्दे को गंभीरता से लें।
क्या अब भी समय रहते कदम उठाए जाएंगे?
सरकारी दावों और उपायों के बावजूद हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पाया है, जिससे लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। सवाल उठता है कि क्या सरकार ठोस कदम उठाएगी या यह समस्या और गंभीर होती जाएगी?