राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, निजी अस्पतालों को गरीब मरीजों के लिए कुछ बिस्तर आरक्षित करना अनिवार्य है। हालांकि कई अस्पताल के बारे में सरकार को शिकायत मिल रही हैं कि इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। उसके तहत निजी अस्पतालों में गरीबों के लिए कितने बिस्तर आरक्षित हैं और उनमें से कितने खाली हैं, इसकी जानकारी अब अस्पताल के मरीजों को भी दी जाएगी। जे जे अस्पताल परिसर में इसके लिए एलईडी डिस्प्ले लगाई गई है।
मुंबई समेत राज्य भर के 430 अस्पतालों में 20 फीसदी बेड गरीबों के लिए आरक्षित हैं लेकिन अधिकांश लोगों को निजी अस्पतालों में चैरिटेबल अस्पतालों या योजनाओं की जानकारी नहीं है। इसलिए वे निजी अस्पतालों में अतिरिक्त पैसा खर्च करते हैं और इलाज कराते हैं। इतना ही नहीं निजी अस्पताल की योजनाओं की जानकारी रखने वालों को यह कहकर वापस भेज दिया जाता है कि अस्पताल में उनके लिए बेड नहीं बचा है। इसको लेकर राज्य सरकार को कई शिकायतें मिली हैं। ऐसे में सरकार अब यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठा रही है कि अधिक से अधिक जरूरतमंद मरीजों को इस योजना का लाभ मिले। इसके अनुसार सरकारी अस्पतालों में एलईडी बोर्ड लगाए जा रहे हैं ताकि आम जनता को सूचित किया जा सके कि किस अस्पताल में गरीब मरीजों के लिए कितने बेड उपलब्ध हैं। इस बोर्ड पर अस्पताल के नाम के साथ ही बेड की जानकारी और संबंधित अस्पताल के अधिकृत डॉक्टरों की संख्या की भी जानकारी दी गई है। डॉ. पल्लवी सापले अधिष्ठाता जे.जे. अस्पताल ने बताया कि निजी अस्पतालों में उपलब्ध बेड की जानकारी अस्पताल प्रशासन द्वारा समय-समय पर अपडेट की जाती है। इन बेड की निगरानी चैरिटी कमिश्नर विभाग द्वारा की जाती है।