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MUMBAI: मुंबई ट्रेन धमाकों का दोषी करना चाहता है कानूनी पढ़ाई, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया सटीक जवाब

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मुंबई । 2015 ट्रेन ब्लास्ट (train bomb blast) के मामले में 16 साल से जेल में बंद दोषी ने बॉम्बे हाईकोर्ट (bombey high court) में याचिका दायर कर लॉ की परीक्षा (law exam) देने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने उसे बहुत सटीक जवाब दिया है. कोर्ट ने इस बार परीक्षा में शामिल होने की इजाजत नहीं दी है। कोर्ट ने अगली बार होने वाली परीक्षा में शामिल होने का का निर्देश दिया है।

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बता दे कि साल 2015 में मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में एहतेशाम सिद्दीकी को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। एहतेशाम को सुनाई गई सजा को लेकर डेथ कन्फर्मेशन याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। एहतेशाम ने दोषी करार दिए जाने से पहले लॉ के तीन साल के पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था। ब्लास्ट से पहले एहतेशाम सिद्दीकी ने साल 2014-15 में मुंबई के एक लॉ कॉलेज से तीन साल के पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था। एहतेशाम ने इस तीन साल के कोर्स के शुरुआती दो सेमेस्टर की परीक्षा भी दी थी। बाद में एहतेशाम को कोर्ट ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में दोषी करार दे दिया और उसे मौत की सजा सुनाई गई। जिसके बाद नागपुर सेंट्रल जेल में बंद एहतेशाम ने अधूरे पड़े अपने कोर्स को पूरा करने का फैसला किया। तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाएं 2 फरवरी 8 फरवरी के बीच होनी है। एहतेशाम के वकील के मुताबिक कॉलेज ने ये भी कहा है कि अगर कोर्ट की ओर से हॉल टिकट मांगी जाती है तो वह भी उपलब्ध करा दी जाएगी। परीक्षा की समय सारिणी के साथ एहतेशाम की ओर से अनुमति के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

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2014, 2015 में दी थी परीक्षा

एहतेशाम सिद्दीकी के वकील मुजाहिद अंसारी ने कहा कि साल 2014 और 2015 में जेल अधिकारियों की ओर से सरकार के खर्च पर एस्कॉर्ट के साथ जेल से परीक्षा केंद्र तक ले जाया गया था। उन्होंने कहा कि इस बार भी ऐसा ही किया जाना चाहिए। इसे लेकर विशेष लोक अभियोजक अवधूत चिमलकर ने महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग की ओर से 10 फरवरी 2022 को जारी एक अधिसूचना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना में साफ कहा गया है कि कैदियों को डीआईजी जेल से संपर्क कर इसके लिए अनुरोध करना होगा। चिमलकर ने कहा कि एहतेशाम सिद्दीकी ने डीआईजी जेल से अनुरोध करने की बजाय सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया जिसकी अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि एहतेशाम को जेल अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था जिससे वे इसके लिए इंतजाम करते। चिमलकर ने ये भी कहा कि सिद्दीकी के पास ऐसा करने के लिए बहुत समय था। जस्टिस एनडब्ल्यू सांबरे और जस्टिस आरएन लड्ढा की पीठ ने कहा कि एहतेशाम सिद्दीकी को नागपुर में रखा गया था जबकि परीक्षा केंद्र मुंबई में था। इतने कम समय में नागपुर से मुंबई तक एस्कॉर्ट और ट्रांसपोर्टेशन का प्रबंध करना मुश्किल होगा। कोर्ट ने ये भी कहा कि जेल अथॉरिटी से संपर्क किए बिना एहतेशाम सिद्दीकी ने सीधे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। जस्टिस सांबरे और जस्टिस लड्ढा की पीठ ने याचिकाकर्ता से अगली बार कोशिश करने के साथ ही जेल प्रशासन को सूचना देने की बात कही है ।

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