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तलाक-ए-हसन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला

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इस कुप्रथा पर रोकने लगाने की गुहार

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मुंबई।तीन तलाक से जहाँ मुस्लिम महिलाओं को राहत मिली थी अब वही दूसरी ओर तलाक-ए-हसन जैसे कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई है। मुंबई की एक मुस्लिम महिला ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है जिसमें कहा गया है कि इस कुप्रथा पर रोक लगाएं, ये भी तीन तलाक का ही प्रारूप है और पुरुषों के लिए शादी तोड़ने का आसान तरीका है।

बतादे की दिल्ली उच्चन्यायलय ने तीन तलाक अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका को शुक्रवार 28 सितंबर 2018 को खारिज कर दी थी इस अध्यादेश में तीन बार तलाक बोलकर पत्नी को तलाक देने पर तीन साल की जेल और जुर्माना भरने की सजा सुनाई गयी थी जिसके कारण मुस्लिम महिलाओं में खुशियों की लहर फैली हुई थी लेकिन इस तीन तलाक के बाद अब “तलाक-ए-हसन के खिलाफ आवाज उठ नी शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका इसके खिलाफ दायर की गई है। तलाक ए हसन जो मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक जैसा ही है, जिसमें शादी शुदा मर्द तीन महीने में तीन बार एक निश्चि अवधि तक तलाक बोलकर अपनी शादी तोड़ सकता है।इस तलाक का प्रारूप भी तीन तलाक की तरह एकतरफा है। इस एकतरफा और अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों” की प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है।अब मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की नज़र कोर्ट के फैसले पर टिकी है कि इस तलाक ए हसन के बारे में क्या निर्णय लेती है।

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