मुंबई। मलेरिया, डेंग्यू (Malaria, dengue) जैसी बीमारियों से बचाने के लिए मनपा मच्छरों को मारने और उसके लार्वा को नष्ट करने के लिए केमिकल का उपयोग करती रही है। (Use of eco bio trap system to kill mosquitoes) लेकिन अब इन मच्छरों को मारने के लिए पर्यावरणपूरक विधि का उपयोग करेगी। जी हां मनपा अब मच्छरों को मारने के इको बायो ट्रैप सिस्टम का उपयोग करेगी। इसके तहत मच्छरों को भरमाकर ट्रैप किया जाएगा और ट्रैप में आने के बाद मच्छर और उसका लार्वा को नष्ट हो जायेगा। खास बात यह है कि इस इको बायो ट्रैप में सिर्फ मादा मच्छर को ही भरमाया जाएगा। स्टार्टअप के तहत मचचों को भरमाकर मारने वाले नायाब तरीके को मनपा ने अपनाया है। इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया है।
मनपा के अनुसार मच्छरों को नष्ट करने के लिए अब एक और अभिनव उपाय को जोड़ा गया है।’इको बायो ट्रैप’ को मनपा के सोसाइटी फॉर मुंबई इनक्यूबेशन लैब टू एंटरप्रेन्योरशिप (स्माइल) काउंसिल ने उपयोग करने की मंजूरी दी है। मनपा आयुक्त एवं प्रशासक इकबाल सिंह चहल, अतिरिक्त नगर आयुक्त अश्विनी भिड़े और सह आयुक्त अजित कुम्भार, स्माइल व्यवसाय विभाग की प्रमुख शशि बाला ने कहा कि इको बायो ट्रैप का पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही लागू किया जाएगा। इससे मादा मच्छरों और उसके लार्वा का अंत होगा। शशि बाला ने बताया कि मनपा क्षेत्र में मलेरिया नियंत्रण के लिए स्टार्टअप के रूप में ‘ईको बायो ट्रैप’ को शामिल किया गया है। यह इनोवेटिव ट्रैप मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करने में काफी मदद करेगा।
इको बायो ट्रैप कैसे काम करता है।
इको बायो ट्रैप 100 प्रतिशत रिसाइकिल कार्डबोर्ड से बनाए जाते हैं। इस बायो ट्रैप में एक छोटा थैला होता है जिसमें मादा मच्छरों को आकर्षित गंध और कीटनाशक का मिश्रण होता है। इस बायो ट्रैप के बीच पानी भरकर मच्छरों वाले क्षेत्रों में रखा जाता है। ट्रैप बैग में आकर्षित करने वाला गंध और कीटनाशक तुरंत पानी के साथ मिश्रित होते हैं। बाद में पानी में मौजूद गंध मादा मच्छर को पानी की तरफ आकर्षित करती है। मादा मच्छर पानी में अपने अंडे देती है। जबकि पानी में मौजूद कीटनाशक मच्छर के अंडे को नष्ट कर देता है। इस प्रकार मच्छर के अंडों का नष्ट होना ही भविष्य में मच्छरों के प्रजनन को रोकता है और बदले में मच्छर जनित रोगों को रोकता है। ‘इको बायो ट्रैप’ में पानी को आम तौर पर 4 से 6 सप्ताह तक स्टोर किया जा सकता है। इस्तेमाल होने वाले गंध और कीटनाशक इंसानों के लिए सुरक्षित हैं।
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