मुंबई। मुंबई मनपा के केईएम ने कमाल कर दिखाया है। देश के पहले सरकारी अस्पताल केईएम ने शुरू किए गए रोबोटिक नी सर्जरी में नया इतिहास रचा है। रोबोट की मदद से चिकित्सकों ने ‘सर्जरी की सेंचुरी’ पूरी कर ली है। इसे पूरा करने में रोबोट को छह महीने लगा है।
उल्लेखनीय है कि मनपा द्वारा संचालित केईएम अस्पताल में इसी साल फरवरी महीने के आखिरी दिनों में बालकृष्ण इंडस्ट्रीज की मदद से करीब पांच करोड़ रुपए के रोबोटिक मशीन दान में मिली थी। इसके बाद फरवरी में ही पहली बार रोबोटिक आर्म की मदद से सर्जरी की शुरुआत की गई। इसके साथ ही मुंबई का सरकारी अस्पताल इस तरह की सर्जरी करने वाला हिंदुस्थान का सबसे पहला सरकारी अस्पताल बन गया था। बता दें कि रोबोटिक सर्जरी पहली बार साल 2000 में आर्मी अस्पताल में शुरू हुआ था। इसके बाद केईएम को छोड़कर एम्स समेत पूरे देश के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा नहीं है। फिलहाल यहां रोबोट की मदद से शुक्रवार को 101वें मरीजों की नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई है। ऐसे में यह रोबोट मरीजों के लिए न केवल बड़ा वरदान साबित हो रहा है, बल्कि आर्थोपेडिक विभाग में आनेवाले गरीब मरीजों को अब निजी अस्पतालों की तर्ज पर इलाज रहा है। जानकारों के मुताबिक निजी अस्पतालों में इस तकनीक से सर्जरी कराने पर करीब 3.50 लाख रुपए लगते हैं, लेकिन केईएम में यह सरकारी योजनाओं के तहत निशुल्क किया जा रहा है।
हिप समेत अन्य सर्जरियां भी होंगी शुरू
विभाग प्रमुख डॉ. मोहन देसाई ने कहा कि रोबोट की मदद से हो रही सर्जरी में रिकवरी रेट बहुत बढ़िया हैं। हम जब सर्जरी करते हैं, तो त्रुटि की संभावना एक प्रतिशत होती है। लेकिन रोबोटिक सर्जरी में त्रुटि की संभावना और भी कम होती है। इसमें 55 साल से कम उम्र वालों की सफलता का पैमाना अधिक है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से खून की जरूरत कम पड़ती है और रिकवरी जल्दी होती है। साथ ही यह सुरक्षित भी है। उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में इस मशीन की मदद से हिप और दूसरे ज्वाइंट की सर्जरियां भी की जाएगी।
हर साल 1000 नी ज्वाइंट की होती है सर्जरी
डॉ. मोहन देसाई ने कहा कि केईएम के आर्थोपेडिक विभाग में हर साल हड्डी से संबधित 6000 सर्जरियां होती हैं। इसमें से 1000 सर्जरी नी ज्वाइंट की होती हैं। उन्होंने कहा की यह सुविधा न केवल मरीजों, बल्कि डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के लिए सुविधानजक साबित हो रही है।