मुंबई। बदलते वक्त के साथ ही यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई (UPI Transaction became expensive) आम लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। आजकल ज्यादातर लोग हर छोटी बड़ी खरीदारी के लिए यूपीआई के जरिए पेमेंट करना पसंद करते हैं। ऐसे में अब एक अप्रैल से यूपीआई पेमेंट करना महंगा साबित होने वाला है । यूपीआई को संचालित करने वाला नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीएल ) ने जारी किए गए सर्कुलर में कहा है कि यूपीआई से मर्चेंट ट्रांजैक्शन (Merchant transaction) पर प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई ) फीस लागू किया जाएगा। इस नोटिफिकेशन(Notification) प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट. (Prepaid payment instrument) जैसे मोबाइल वॉलेट के जरिए व्यापारियों को 2,000 रुपये से अधिक के पैसों ट्रांसफर करता है तो ऐसी स्थिति में इसे इंटरचेंज फीस देनी होगा।
बतादे कि भारत में यूपीआई के जरिए होने वाली कुल पेमेंट का 70 फीसदी हिस्सा 2000 रुपये से अधिक का होता है, ऐसे में अगर अतिरिक्त चार्ज लगेगा तो आम आदमी को हर ट्रांजैक्शन पर 10 से 22 रुपये तक एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ेगा। मौजूदा समय में यूपीआई से पेमेंट करना पूरी तरह से फ्री है पीपीआई चार्ज वॉलेट या किसी कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन करने पर ही लगता है और इसे लेन-देन को स्वीकार करने के साथ लागत को कवर करने के लिये लागू किया जाता है। एनपीसीआई ने सर्कुलर में साफ किया है कि एक अप्रैल को नियम लागू करने के बाद 30 सितंबर,2023 को पहली बार इसका रिव्यू किया जाएगा।
जानें कहां नहीं लगेगा इंटरफेस चार्ज
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन (एनपीसीआई ) ने अपने सर्कुलर में अलग-अलग फील्ड के लिये अलग-अलग चार्ज निर्धारित किये हैं जिसके तहत खेती और टेलीकॉम से जुड़े सेक्टर्स में सबसे कम इंटरचेंज फीस रखी गई है तो वहीं पर कंज्यूमर से जुड़ी सेवाओं पर इसे अधिकतम रखा गया है. व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को इंटरचेंज फीस यानी कि मर्चेंट ट्रांजैक्शंस देना पड़ेगा। इस सर्कुलर के मुताबिक बैंक अकाउंट और पीपीआई वॉलेट के बीच पीयर-टू-पीयर और पीयर-टू-पीयर-मर्चेंट में किसी तरह के ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना होगा।