मुंबई। मनपा ( BMC ) अस्पतालों (Municipal Hospitals) की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। शहर के प्रमुख अस्पतालों में आपातकालीन और आईसीयू (Emergency and ICU) सेवाएं ठप हो रही हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ की भारी कमी भी देखने को मिल रही है।
अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव
मुंबई के केईएम, सायन, नायर और कूपर अस्पताल समेत 16 उपनगरीय, 30 प्रसूति, 5 विशेष अस्पतालों में रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन हालात ऐसे हैं कि गंभीर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है और उन्हें मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
शताब्दी अस्पताल में बंद हुआ आपातकालीन विभाग
गोवंडी के शताब्दी अस्पताल में मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। समाजसेवी राजेंद्र नगराले के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से अस्पताल का आपातकालीन विभाग बंद है, जिससे मरीजों को सायन और राजावाड़ी अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण अस्पताल में भारी अव्यवस्था फैली हुई है।
जोगेश्वरी ट्रामा अस्पताल का आईसीयू भी ठप
समाजसेवी भिमेश मुतुला के अनुसार, जोगेश्वरी स्थित ट्रामा अस्पताल का आईसीयू पिछले तीन दिनों से बंद है। अनुबंधित डॉक्टरों ने अचानक अपने मोबाइल बंद कर दिए, और ठेका देने वाली मैक्सवेल कंपनी भी अस्पताल प्रशासन के कॉल नहीं उठा रही है। इससे मरीजों को भारी दिक्कत हो रही है।
सरकार की अनदेखी जारी
स्वास्थ्य सेवाओं की इस बदहाली के बावजूद महायुति सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। मरीजों की लंबी कतारें, दवाओं की किल्लत और डॉक्टरों की अनुपलब्धता जैसे गंभीर मुद्दों पर भी प्रशासन की ओर से कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है।
जनता और सामाजिक संगठनों ने सरकार से जल्द से जल्द इन समस्याओं के समाधान की मांग की है, ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
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