जो इंडिया / मुंबई। महाराष्ट्र में शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड (Sanjay Gaikwad, MLA of Shinde faction in Maharashtra
दरअसल, विधायक गायकवाड को जानकारी मिली थी कि एक आश्रमशाला में आदिवासी बच्चों को दूध, अंडा और पोषणयुक्त भोजन देने के नाम पर हर महीने सरकार से लाखों की ग्रांट ली जा रही है, लेकिन बच्चों को खाने में सिर्फ दाल का पानी और खराब खाना दिया जा रहा है। उन्होंने मीडिया के सामने बताया कि हर बच्चे पर महीने का 21 हजार रुपये और संस्था को 75 लाख रुपये तक की ग्रांट दी जाती है। फिर भी बच्चों का हक मारकर संस्था प्रमुख हरामखोरी कर रहा है।
इस मुद्दे पर विधायक ने संबंधित अन्न व औषध प्रशासन (FDA) के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनका आरोप है कि अधिकारी न तो फोन उठा रहे थे और न ही मौके पर पहुंचे। इसी बात से नाराज होकर गायकवाड ने मीडिया के कैमरों के सामने ही अधिकारियों के लिए अपशब्द कहे और गालियां दीं।
पहले से विवादों में चल रहे हैं गायकवाड
यह कोई पहला मौका नहीं है जब संजय गायकवाड विवाद में आए हों। कुछ दिन पहले ही उन्होंने विधायक निवास की कैंटीन में खराब खाना परोसने पर कैंटीन संचालक के साथ मारपीट की थी। उस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेश पर उनके खिलाफ मामला दर्ज भी किया गया था।
शिंदे गुट की फटकार?
सूत्रों के मुताबिक, गायकवाड की इन हरकतों से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी नाराज हैं। कैंटीन संचालक से मारपीट की घटना के बाद दिल्ली दौरे से लौटने पर शिंदे ने गायकवाड को फटकार लगाई थी। अब अधिकारी को गालियां देने का नया मामला सामने आने से शिंदे गुट की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
एक तरफ गायकवाड के आलोचक उन्हें दबंगई करने वाला विधायक बता रहे हैं तो वहीं कुछ लोग आदिवासी बच्चों के हक में आवाज उठाने के लिए उनकी सराहना भी कर रहे हैं। हालांकि, सवाल यह उठ रहा है कि जनता के मुद्दे उठाने के नाम पर क्या विधायकों को कानून हाथ में लेने का हक है?