मुंबई। चार साल के लंबे इंतजार के बाद, वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा में मिलने वाली छूट की बहाली की संभावनाएं फिर से उठ रही हैं। हालांकि, यह निर्णय विवादों और आलोचनाओं के घेरे में है। पिछले चार वर्षों से, रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को किराए में दी जाने वाली छूट को बंद कर दिया था, जिससे लाखों वरिष्ठ यात्रियों को भारी आर्थिक बोझ सहना पड़ा। अब जब इस छूट की बहाली की बात सामने आई है, तो यह सवाल उठता है कि इसे लागू करने में और कितनी देरी होगी और क्या वाकई इसे पूरी तरह से बहाल किया जाएगा।
रेलवे प्रशासन ने इस निर्णय के पीछे वित्तीय कारणों का हवाला दिया है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह महज बहाना है। वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली यह छूट एक लंबे समय से सामाजिक सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, और इसे बंद करने का फैसला उनके साथ अन्याय है। कई वरिष्ठ नागरिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार और रेलवे प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और जल्द से जल्द इस छूट को बहाल करना चाहिए। इस पूरी स्थिति ने रेलवे प्रशासन की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह साफ है कि इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए।
वरिष्ट नागरिकों के छूट बंद कर रेलवे ने की मोटी कमाई
पिछले चार वर्षों में रेलवे ने मोटी कमाई की है। इस कदम से लाखों वरिष्ठ नागरिकों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। वित्तीय कारणों का हवाला देते हुए रेलवे ने यह छूट बंद कर दी थी, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह निर्णय केवल राजस्व बढ़ाने के लिए था। बता दें की सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि चार साल पहले ट्रेन किराए में रियायतें वापस लेने के बाद भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों से 5,800 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया।