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MUMBAI : असंगठित कर्मचारी को कुली के रूप में पत्र जारी करने में डाक विभाग का असहयोग

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मुंबई । एक तरफ केंद्र असंगठित मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए केंद्रीय सरकार (central government) अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ मुंबई (mumbai ) में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। जहां भारतीय डाकघर( indian Post) एक असंगठित कर्मचारी को वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अस्थायी होने का पत्र जारी करने से टालमटोल कर रही है। सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली (rti activist Anil galgali) ने भारतीय डाक विभाग की इस नकारात्मक कार्यप्रणाली की लिखित शिकायत केंद्र सरकार से की है।

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मुंबई भारतीय डाक विभाग के विलेपार्ले पूर्व स्थित सहार पोस्टल डिवीजन में कुली का काम करने वाले सूरज पाल मौत के मुंह से बाहर आ गए और उनकी पत्नी ने उनके इलाज के लिए 10 लाख रुपये का कर्ज लिया। लेकिन भारतीय डाकघर इस असंगठित कर्मचारी को अस्थाई होने का पत्र जारी करने को तैयार नहीं है। मुंबई के साकीनाका के काजुपाड़ा में रहने वाले सूरज पाल कुली का काम करते हैं और उनका काम स्थायी नहीं है। उन्हें 7 अक्टूबर, 2022 को ब्रेन हैमरेज के चलते दिशा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

संगीता ने 10 लाख रुपये लौटाने की नीयत से टाटा संस्था से मदद मांगी। अस्थाई कर्मी का पत्र लाने पर पति सूरज पाल को आर्थिक सहायता मिलेगी, ऐसा आश्वासन मिलने पर संगीता पाल ने रेलवे मेल सर्विस के वरिष्ठ अधीक्षक पीसी जगताप को दिनांक 19 नवंबर 2022 को एक लिखित पत्र भेजा। जगताप ने उस पत्र को आगे की कार्रवाई के लिए अधीक्षक पड़वल को भेज दिया। संगीता पाल का आरोप है कि डाक खाता पत्र नहीं दे रहा है और टालमटोल कर रहा है। स्थायी रूप से काम न करने का पत्र देने में इतना संकोच क्यों? यह सवाल पूछते हुए अनिल गलगली ने संचार मंत्री अश्विन वैष्णव से शिकायत की है।

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