जो इंडिया / मुंबई – महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai is the economic capital of Maharashtra

मनपा अधिकारियों के अनुसार, मुंबई की तीन प्रमुख झीलें — तुलसी, विहार और पवई, मानसून के दौरान तेजी से भर जाती हैं और उनमें से बहकर निकलने वाला जल मीठी नदी के रास्ते धारावी, बीकेसी, कुर्ला जैसे क्षेत्रों में जलभराव की समस्या पैदा करता है। इस अतिरिक्त पानी का कोई व्यवस्थित उपयोग अब तक नहीं हो पा रहा था।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं:
प्रस्तावित पंपिंग स्टेशन की क्षमता 200 मिलियन लीटर प्रति दिन होगी।
योजना का उद्देश्य मानसून के औसतन 36 भारी वर्षा वाले दिनों में लगभग 7200 मिलियन लीटर जल एकत्र करना है।
एकत्रित जल को भांडुप स्थित मुंबई के एकमात्र जल शुद्धिकरण संयंत्र में भेजा जाएगा, जहाँ उन्नत तकनीकों द्वारा इसे पीने योग्य बनाया जाएगा।
मनपा अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना जल संरक्षण के साथ-साथ शहरी बाढ़ प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए यह योजना 2027 से पूर्ण रूप से चालू हो जाएगी और इससे मुंबई को दीर्घकालिक जल सुरक्षा प्रदान होगी।
पृष्ठभूमि में बढ़ते खतरे: विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता और अनियमितता बढ़ रही है, जिससे जलग्रहण क्षेत्र बाढ़ का शिकार हो रहे हैं और एक ही समय में पानी की भारी बर्बादी भी हो रही है। मनपा की यह योजना इस दोहरे संकट से निपटने के लिए एक विज्ञान आधारित समाधान मानी जा रही है।
📢 जनता से जुड़ाव और अपेक्षा:
मनपा ने इस योजना के साथ-साथ नागरिकों से भी जल संरक्षण की अपील की है। जल बचाने, रिसाइकलिंग बढ़ाने और वर्षा जल संचयन जैसे उपायों को अपनाने की सलाह दी गई है, ताकि मुंबई पानी की कमी से स्थायी रूप से निपट सके।