मुंबई । नवी मुंबई के सानपाड़ा सेक्टर 5 के रहने वाले मुरलीधर कृष्ण भोईर का अगस्त 1995 में निधन हो जाने पर नेरूल के रहने वाले अजय निमगुलकर ने नवंबर 1996 में मृतक भोईर को जिंदा बताकर किसी अन्य व्यक्ति व्यक्ति से उनके फर्जी सिग्नेचर करवा कर शिरवने एमआईडीसी द्वारा भोईर को मिलने वाले 70 लाख रुपये की कीमत के भूखंड का गबन किये जाने का मामला सामने आया है। गबन किए गए भूखंड पर निर्माण कार्य कर उसे दूसरे व्यक्ति को निमगुलकर द्वारा बेच दिये जाने का आरोप है। पुलिस ने आरोपी अजय निमुलकर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।(Made the dead alive
जानकारी के अनुसार वर्ष 1962 में एमआईडीसी सानपाड़ा गांव के कृष्णा हासु भोईर की बोनसरी गांव की पुश्तैनी जमीन का संपादन किया था। उसके बाद कृष्णा भोईर को फाइजर कंपनी में नौकरी मिली। हालांकि कृष्णा भोईर और उनके परिवार को एमआईडीसी से भूखंड नहीं मिला था। वर्ष 2008 में कृष्णा भोईर के पोते मनोज भोईर ने एमआइसी से उनके परिवार को मिलने वाले भूखंड के बारे में पूछताछ की तो उन्हें बताया गया कि उनके दादा को पीएपी-80 भूखंड आवंटित किया गया है। जिसके बाद कृष्णा भोईर व उनके परिवार को एमआईडीसी से मिले प्लॉट का कब्जा नहीं मिला, जिस पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कब्जा किये जाने क शक मनोज भोईर को हुआ।जिसके बाद उन्होंने एमआईडीसी से इस भूखंड के बारे में और जानकारी मांगी।मनोज भोईर को जानकारी मिली वह चौकाने वाली थी।इस जानकारी में उन्हें बताया गया कि जब 31 अगस्त 1995 को कृष्णा भोईर के पुत्र मुरलीधर भोईर की मृत्यु हो गई, तो नेरूल के रहने वाले अजय निमगुलकर ने नवंबर 1996 में किसी फर्जी व्यक्ति को एमआईडीसी में खड़ा कर उसे मुरलीधर भोईर बताया और उस फर्जी व्यक्ति ने मुरलीधर भोईर बनकर कब्जे की पावती पर मुरलीधर भोईर के नकली हस्ताक्षर कर भूखंड का गबन किया है। साथ ही निमगलकर द्वारा इस भूखंड पर निर्माण के लिए किये गए आवेदन पर, घोषणा पत्र और नक्शे पर भी झूठे हस्ताक्षर किए जाने की बात सामने आयी। इसके अलावा निमगुलकर ने इस भूखंड पर निर्माण पूरा करने के बाद अप्रैल 2004 में सेल अग्रीमेंट पर भी मृतक मुरलीधर भोईर के नकली हस्ताक्षर कर उसे करीबन 70 लाख रुपये में रजा इस्माइल हाफिस फोड़कर को बेचने की जानकारी सामने आई। इस तरह की ठगी का मामला सामने आने के बाद मनोज भोईर ने तुर्भे एमआईडीसी पुलिस से आरोपी के विरूद्ध शिकायत की है।