जामताड़ा (jamtada) गिरोह से पूरा देश परिचित है। सायबर क्राइम (cyber crime) को अंजाम देने वाले जामताड़ा गिरोह की स्टाइल में अब राजस्थान के भरतपुर (bharata of rajasthan) जिले से सायबर जालसाजी लगातार हो रही है। दरअसल राजस्थान का भरतपुर इन दिनों सायबर जालसाजों का अड्डा बन गया है। शाम होते ही गैंग ठगी के काम में लग जाता है। मुंबई पुलिस ने एक ऑपरेशन के तहत हिंदुस्तान के नए जामताड़ा गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह में भरतपुर जिले के तीन गांव के लोग शामिल है।इस गैंग के खिलाफ देश भर में 850 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं। मुंबई साइबर पुलिस के हत्थे चढ़े चारों आरोपी राजस्थान के भरतपुर जिले के निवासी हैं। सायबर डीसीपी डॉ बालसिंह राजपूत के मुताबिक 19 स्टेट में इस गिरोह ने जालसाजी की वारदात को अंजाम दिया है।इसके खिलाफ देश भर में 850 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हैं। फ्रॉड के पैसों से इन लोगों ने बंगले बनाने और प्रॉपर्टी खरीदने में किया है।
ठगी का टैलेंट
भरतपुर के दूर दराज इलाके के गांव से इनका ताल्लुक है, लेकिन ठगी का टैलंट ऐसा की बड़े-बड़े शहरों के पढ़े लिखे व्यक्ति भी इनके झांसे में आ जाते थे। अपने इसी हुनर के बदौलत इन्होने देशभर में तहलका मचाया हुआ है। हालांकि यह ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन कई राज्यों के साइबर ब्रांच और आईटी एक्सपर्ट को परेशान करके रखा था।इन तक पहुंचने के लिए मुंबई पुलिस को भी एड़ी चोटी का जोर लगना पड़ गया।
कॉरपोरेट स्टाइल में होता था काम
गिरोह के काम करने का तरीका कॉर्पोरेट कंपनी से कम नहीं था।लोगों को ठगने के लिए इनको ट्रेनिंग सेंटर खोलकर ट्रेनिंग दी गई थी। गैंग के सदस्य कुल चार ग्रुप में काम करते थे। इसमें पहला ग्रुप ओएलएक्स वेबसाइट पर गिद्ध की तरह नजरे गढ़ाए हुए नए शिकार की तलाश करता था।उनकी पूरी जानकारी निकालकर यह ग्रुप में दूसरे ग्रुप को देता था। इसके बाद दूसरा ग्रुप टारगेट से सम्पर्क करता था।इस ग्रुप के सदस्य लोगों से बातचीत करते और यह जाहिर करते कि उन्हें उनके सामान को खरीदने में दिलचस्पी है। एडवांस के तौर पर उन्हें कुछ पैसे देने की भी लालच देते थे। जब कोई शख्स तैयार हो जाता था तो वह एक क्यूआर कोड भेजते थे। लेकिन जब वह शख्स स्कैन करता था तो खुद उकसे खाते से ही पैसे कट जाते थे। वही तीसरा ग्रुप देश भर के अलग-अलग राज्यों में फैला रहता था।
इस ग्रुप के सदस्य जिस समय अकाउंट में पैसे आते थे उसे वे तुरंत एटीएम से पैसे निकाल लेते थे। चौथा ग्रुप गांव के भोले भाले लोगों के नाम पर अकाउंट खोलकर उनके एटीएम कार्ड से ऑनलाइन बैंकिंग करता था ताकि पकड़े जाने पर उनका नाम सामने न आए।
गिरोह के पास 835 सिमकार्ड मिले
पुलिस से मुताबिक हर दिन सूरज ढलते ही गिरोह एक्टिव होता और तड़के सुबह तक ठगी की वारदात को अंजाम देता था। इनकी धोखाधड़ी का पता तब चला जब एक पीड़ित ने साइबर पुलिस से संपर्क कर इसकी जानकारी दी। पुलिस ने मोबाइल फोन, विभिन्न बैंकों के 32 डेबिट कार्ड, 835 मोबाइल सिम कार्ड बरामद किए हैं। पुलिस की माने तो आने वाले दिनों में और भी सदस्यों को गिरफ्तार किया जाएगा.