शहर में बीते कुछ सालों से अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते बच्चों से लेकर बूढ़े तक मोटापे का शिकार हो रहे हैं। वहीं अनियमित खानपान से मोटापे के शिकार हुए लोग कई रोगों को न्योता भी दे रहा है। अनियमित खानपान के कारण बच्चों में मोटापे की समस्या भी काफी बढ़ रही है। इस मोटापे के कारण उम्र बढ़ते ही कई युवतियों में पीसीओएस जैसी समस्या बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में चिकित्सकों ने ज्यादा वजन के चलते पैदा होने वाले व्यवधान को दूर रखने के लिए महिलाओं को मोटापे से सावधान रहने की जरूरत है। इस पर ध्यान न देने पर वे पीसीओएस की शिकार हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि टीवी, कम्युटर, वीडियो गेम, जंक फूड का अधिक सेवन, व्यायाम की कमी के कारण मोटापा बढ़ता हैं। ऐसे में मोटे बच्चों में टाइप-2 मधुमेह, अस्थमा, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, सांस लेने में समस्या, जोड़ों की समस्या, लीवर कैंसर, फैटी लीवर जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा महिला रोग संबंधी और हार्मोनल समस्याओं की जोखिम को भी काफी बढ़ा देता है। मोटापा आमतौर पर पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओएस) से जुडा है।
हर पांच में से एक हिंदुस्थानी महिला पीसीओएस है पीड़ित
बैरिएट्रिक सर्जन डॉ. मनीष मोटवानी ने कहा कि बचपन में मोटापा पीसीओएस के विकास का कारण बन सकता हैं। महामारी के दौरान सामने आए आकड़ों के अनुसार पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं का वजन ३८ से ८८ फीसदी अधिक था। इसके अलावा कई महिला पहले से मोटापे से ग्रस्त थीं। एक अनुमान के मुताबिक पांच में से एक हिंदुस्थानी महिला पीसीओएस से पीड़ित है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो, यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। पीसीओएस एक अंतःस्रावी स्थिति है, जो अंडाशय को प्रभावित करती है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को गर्भपात का उच्च जोखिम हो सकता है। मोटापे से ग्रस्त किशोरियों में वयस्कता में बांझपन और संतानहीनता की संभावना अधिक होती है।
मोटापे का इलाज नियमित व्यायाम
डॉ मोटवानी ने कहा कि पीसीओएस से पीड़ित लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं। पीसीओएस शरीर के लिए इंसुलिन प्रतिरोध के लिए अग्रणी हार्मोन इंसुलिन का उपयोग करना अधिक कठिन बना देता है। उच्च इंसुलिन का स्तर एण्ड्रोजन नामक पुरुष हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाता है जिससे वजन बढ़ता है। पौष्टिक आहार का सेवन और नियमित व्यायाम मोटापा कम कर सकता हैं।