नवी मुंबई । २५ से ४० वर्ष की आयु के युवा पुरुषों में शुक्राणुओं (Sperm count in young men aged 25 to 40 years) की संख्या में गिरावट दिखाई दे रही हैं। नियमित व्यायाम का अभाव, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, खराब आहार, तनाव और प्रदूषण के कारण यह समस्या अधिकतर पुरुषों में देखी जा रही हैं। इसके लिए संतुलित आहार अपनाना, नियमित व्यायाम करना, तनाव प्रबंधन के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करना और दवाओं और स्टेरॉइड के दुरुपयोग से बचना आवश्यक है।
पुरुषों में उम्र बढ़ने के कारण शुक्राणु की संख्या कम होने लगती हैं। महिलाओं के लिए अंडों में गिरावट आती है, लेकिन ऐसे कई कारक हैं जो शुक्राणु स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। बदलती जीवनशैली इसलिए काफी जिम्मेदार हैं।
नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी के क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ सुलभा अरोरा ने कहॉं की, कम शुक्राणुओं की संख्या और वीर्य में शुक्राणुओं की अनुपस्थिति प्रजनन क्षमता को काफी प्रभावित करती है। खराब आहार के कारण भी यह समस्या होती हैं। फास्ट फूड और प्रोसेस्ड स्नैक्स के सेवन से मोटापा बढ़ सकता है इस कारण भी शुक्राणु कम होने लगते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण भी पुरुषों में शुक्राणु की संख्या कम होने लगती हैं। तनाव कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता है, जो टेस्टोस्टेरोन उत्पादन और शुक्राणु स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम करता हैं।
नवी मुंबई स्थित मदरहुड फर्टिलिटी और आईवीएफ के प्रजनन सलाहकार और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ अंकिता कौशल ने कहॉं की, प्रजनन संबंधी समस्याएं केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं हैं अब पुरुष भी प्रजनन संबंधी समस्या से जूझ रहे हैं। २५ से ४० वर्ष की आयु के पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट होती दिखाई दे रही है। यह समस्या पर्यावरण प्रदूषण, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता, लंबे समय तक बैठे रहना और तनाव जैसे कारकों के कारण होती है। इसलिए पुरूषों को स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए, नियमित व्यायाम, ध्यान और हानिकारक रसायनों के संपर्क से बचना चाहिए। वजन पर नियंत्रण, शराब और तंबाकू का सेवन न करना और प्रजनन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना शुक्राणू की गुणवत्ता बढा सकता हैं। इसके अलावा प्रजनन संबंधी समस्या के विशेषज्ञ की सलाह लेना काफी जरूरी हैं।
नवी मुंबई स्थित मदरहुड फर्टिलिटी और आईवीएफ के प्रजनन औऱ आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. अंकिता कौशल ने कहॉं की, “महिलाओं के साथ-साथ अब पुरुष भी प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण, खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, लंबे समय तक बैठे रहना और तनाव जैसे कारणों के कारण २५-४० वर्ष की आयु के पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में चिंताजनक गिरावट आई है। पुरुषों के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, ध्यान जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकों का पालन करना और रसायनों के संपर्क को कम करना आवश्यक है। स्वस्थ वजन बनाए रखना और शराब और तंबाकू का सेवन कम करना भी शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा जरूरत पडे तो विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर उनकी सलाह देना काफी महत्त्वपूर्ण हैं। अनुकूलित उपचार विकल्पों के लिए, एक प्रजनन सलाहकार से मिलें जो परीक्षण करेगा और व्यक्ति की आवश्यकताओं के आधार पर अनुकूलित सिफारिशें देगा।”
डॉ. सुलभा अरोरा ने आगे कहॉं की, शुक्राणु स्वास्थ्य में सुधार के लिए, पुरुषों को एंटीऑक्सीडेंट और स्वस्थ वसा वाले पोषक तत्वों से भरपूर आहार शामिल करना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज, फलियाँ, दालें, सोयाबीन, अंडे, केले, अखरोट, टमाटर और कद्दू के बीज खाना फायदेमंद है। दैनिक व्यायाम, योग, ध्यान और तंबाकू, धूम्रपान और मादक द्रव्यों के सेवन से दूर रहने की भी सलाह दी जाती है। बीएमआई (२०-२५ किग्रा/एम2) बनाए रखना और प्रतिदिन ८-९ घंटे की नींद लेना काफी जरूरी हैं। इससे शुक्राणु की संख्या और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार आ सकता हैं। पुरुषों को महिलाओं की तरह ही अपने यौन स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।