जो इंडिया / नवी मुम्बई
कोपरखैरणे (koperkhairne) के तीन टंकी के सामने स्थित मैदान में पिछले सप्ताह से भागवत महापुराण यज्ञ की कथा संत कुणाल जी महाराज (Story of Bhagwat Mahapuran Yagna by Saint Kunal Ji Maharaj) ने सुनाई जिसमें सैकड़ों भक्त प्रेमियों ने कथा का लाभ उठाया ।
संत कुणाल जी महाराज (Saint Kunal Ji Maharaj) ने कथा में आगे बताया कि भागवत कोई ग्रंथ नही साक्षात भगवान का वांगमय स्वरूप है। यह सब पापों का हरण करने वाली कथा है । माता कुन्ती ने जीवन में अपने लिए केवल दुख ही मांगा जिससे उनकी याद बनी रहें । भगवान का जन्म कंस के कारागार में होता है लेकिन योगमाया से वे नंद यशोदा के पास गोकुल पहुंच जाते हैं।प्रभु की बाललीलाए लोगों को आकृष्ट करती हैं ।कंस के यहां से आई पूतना का उध्दार भी श्रीकृष्ण ने बालरूप में ही किया ।कंस का अंत मथुरा में जाकर श्रीकृष्ण ने ही किया।बालरूप में प्रभू ने खूब लीलाए की ।कही गईया चराते ग्वालों के साथ , गोपियो के घर जाकर माखन चुराना, यमुना जी में नग्न स्नान पर उनके वस्त्र छिपाना, इत्यादि । प्रभु ने गोपियों संग महारास भी रचाई जिसे देखने शिव भी गोपी बनकर महारास में भाग लिया लेकिन कृष्ण ने उन्हें पहचान लिया और गोपेश्वर नाम दिया ।आज भी वृन्दावन में रास लीलाएं निधिवन में चलती हैं जिसका प्रत्यक्ष दर्शन नही किया जा सकता लेकिन कुछ निशान से ऐसा हुआ सम्भव मान लिया जैसे सुबह सुबह चारों तरफ बिखरें सामान से रासलीला हुआ समझा जा सकता है ।बडे होने पर माता रूक्कमणी से गंधर्व विवाह रचना और अपने बालसखा सुदामा के जीवन से गरीबी दूर कर देना जैसे कई प्रसंग लोगों को आकर्षित किया ।मित्रता हो तो कृष्ण सुदामा जैसी जिन्होंने दे दी दो मुट्ठी चावल के बदले दो लोक की संपदा । सुदामा चरित्र कथा भक्त और भगवान के मिलन की कथा है। कार्यक्रम में महिलाएं , बच्चे व भक्त भारी संख्या में उपस्थित हुए ।कथा विश्राम पर एक विशाल भण्डारे का आयोजन भी हुआ जिसमें हजारो भक्त शामिल होकर पुण्य लाभ प्राप्त किए । पधारें विशिष्ट मेहमानओं को महराज जी ने आशीर्वाद स्वरूप अंग वस्त्रों से सम्मानित किया और प्रसाद से तृप्त किया । सभी कार्यकर्ताओ व भक्तों का आभार व्यक्त करते हुए संत जी विश्राम की ओर प्रस्थान किये ।