मुंबई। लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार(Sharad Pawar)की पार्टी एनसीपी और उसका चुनाव चिह्न भले छिन गया। उनके भतीजे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार(Deputy Chief Minister Ajit Pawar)समेत कई सहयोगियों ने भले साथ छोड़ दिया। लेकिन इसके बावजूद शरद पवार के इरादे मजबूत हैं। 84 साल के शरद पवार में अब भी जोश वही बरकरार नजर आता है। पिछले 60 दिनों में पावर ने 79 सभाएं और 17 पत्रकार परिषद ली है। इतना ही नहीं शरद पवार फिलहाल हरियाणा में भी सभाएं ले रहे हैं।
बतादें पवार के भतीजे अजित पवार के गद्दारी के बाद उनकी पार्टी के बहुत से लोग अजित पवार के साथ चले गए। उनकी पार्टी में फूट के बाद चुनाव चिह्नन और पार्टी का नाम दोनो छीन गया। लोकसभा चुनाव में शरद पवार की एनसीपी महाविकास अघाड़ी का हिस्सा थी। इसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस भी शामिल है। शरद पवार ने भाजपा के साथ न जाकर इंडिया गठबंधन में बने रहने का फैसला किया। इसके बाद महाविकास आघाडी में समझौते के बाद शरद पवार की एनसीपी को 10 सीटें मिलीं। शरद पवार ने महाराष्ट्र में अपने 10 उम्मीदवारों को टिकट देकर मैदान में उतारा। इतना ही नहीं पवार ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए भी सभाएं ली हैं। शरद पवार ने लोकसभा चुनाव के दौरान 60 दिनों में करीब 79 सभाएं की हैं।
उल्लेखनीय है कि शरद पवार ने न सिर्फ पूरे महाराष्ट्र में सभाएं ली हैं बल्कि सबका ध्यान अपनी ओर खींचने वाली बारामती लोकसभा सीट पर भी खास ध्यान दिया। पवार ने बारामती लोकसभा उम्मीदवार सुप्रिया सुले के लिए विरोधियों के साथ बैठकें कीं। उन्होंने पुराने प्रतिद्वंद्वी अनंतराव थोपेटे से मुलाकात की और सुले की राह आसान करने की कोशिश की। इसके अलावा, शरद पवार अनंतराव थोपटे के बेटे और विधायक संग्राप थोपटे को भी अपने पक्ष में करने में सफल रहे।