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RBI Minimum Balance :ग्राहकों के लिए जल्द ही अच्छी खबर! बैंकों की ‘वसूली’ जल्द ही खत्म हो जाएगी

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नई दिल्ली।(RBI Minimum Balance) बैंक ग्राहकों की जेब काट रहे हैं। इस तिमाही में न सिर्फ निजी बल्कि सरकारी बैंकों ने भी जोरदार मुनाफा कमाया है। मिनिमम बैलेंस, एसएमएस (Minimum Balance, SMS charge) और कई अन्य तरीकों से बैंक ग्राहकों को लूट रहे हैं। उनके खाते से पारस्परिक राशि काट ली जाती है। ग्राहक को इसकी जानकारी तक नहीं होती। इससे ग्राहक को भ्रम होता है। लेकिन यह बेकार है। केंद्र सरकार ने भी इस संबंध में गंभीर समाधान की योजना बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) से बातचीत की जाएगी। इस लूट पर पर्दा डालने के लिए जल्द ही बातचीत हो सकती है। इसमें केंद्र सरकार उपभोक्ताओं को इस जांच से छूट देने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार शुल्क कम करने के लिए दबाव बना सकती है। इस पर जल्द ही अपडेट आएगा।

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इतना कमाया

बैंकों ने खाते में एक निश्चित रकम की सीमा तय कर रखी है। यदि राशि ग्राहक के खाते में नहीं है, तो खाताधारक को दंडित किया जाता है। शेष राशि से इसकी वसूली भी कर ली जाती है। फिर बैलेंस कम बता कर जुर्माना राशि काट ली जाती है। लेकिन एसएमएस और अन्य सेवाओं के नाम पर अब भी लूट मची हुई है। पिछले पांच साल में बैंकों ने मिनिमम बैलेंस से 21 हजार करोड़ रुपये कमाए हैं। अक्सर ग्राहकों को पता ही नहीं चलता कि उनके खाते से कितनी रकम कट गई है।

मिनिमम बैलेंस के नाम पर लूट होती है। लेकिन बैंक एसएमएस शुल्क और अतिरिक्त लेनदेन शुल्क के नाम पर ग्राहकों को धोखा देते हैं। ऐसे में 2018 से 2023 तक पांच सालों में बैंकों ने ग्राहकों से कुल 35,500 करोड़ रुपये वसूले हैं। इन आंकड़ों को देखकर केंद्र सरकार भी असमंजस में है। अब इस मामले में वैकल्पिक योजना बनाने का दबाव बढ़ रहा है।

केंद्र की क्या भूमिका है?

बैंकों से इस वसूली के खिलाफ केंद्र सरकार आरबीआई से बातचीत कर सकती है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार इस मामले में पहल करने की तैयारी कर रही है। इसलिए सेवाओं के लिए जुर्माने के नाम पर लगाए जाने वाले शुल्क को कम करने के निर्देश दिए जा सकते हैं या फिर इसको लेकर कोई समाधान निकाला जा सकता है।

ऋण वसूली मुकदमा

केंद्र सरकार बैंकों से कर्ज वसूली के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरणों को और अधिक शक्तियां देने की तैयारी में है। इसके लिए केंद्र सरकार विचारों का आदान-प्रदान कर रही है। साथ ही विशेषज्ञों से भी चर्चा कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस साल सरकारी बीमा कंपनियों को अतिरिक्त फंड नहीं दिया है।

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