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मस्ती में राज्य के मंत्री, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बैठक से क्यों गायब?

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मुंबई। राज्य महायुति सरकार (State coalition government) में मंत्री पद मिलने के बाद तमाम मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में लोगों के बीच में पहुंचकर सत्कार करवा रहे हैं। तो विभिन्न सत्कार कार्यक्रम में वे उपस्थित हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनका जोश भी दिख रहा है । बड़े पैमाने पर अपने क्षेत्र के विभिन्न कार्यक्रमों में पहुंचकर सत्कार सम्मान करवा रहे हैं जबकि मंत्रालय इन मंत्रियों के बिना सुना सुना है। एक्का दुक्का मंत्री ही मंत्रालय में नजर आ रहे हैं।

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बतादें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis) ने शपथ लेने के तुरंत बाद सभी विभागों को 100 दिनों की कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। अब उन्होंने इस कार्य योजना की समीक्षा और विश्लेषण शुरू कर दिया है। जबकि अधिकांश मंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सत्कार समारोह और रैलियों में व्यस्त हैं, उन्हें मुंबइ में मंत्रालय में होने वाले कामकाज से कोई फर्क नजर नहीं आ रहा हैं। आश्चर्य तो है यह है कि मुख्यमंत्री इस मामले में मंत्रियों को पूछ भी नहीं रहे हैं सीधे सचिवों के साथ संपर्क कर काम की जिम्मेदारी सचिवों को सौंप रहे हैं

मंत्रालय के कई दफ्तरों में नवीनीकरण का काम चल रहा है, जिसके कारण फडणवीस सहित कई मंत्रियों ने सह्याद्री अतिथि गृह से बैठकों का संचालन शुरू किया है। फडणवीस ने मंत्रियों का इंतजार किए बिना सचिवों को बुलाकर कार्य योजना की बैठकों की शुरुआत कर दी है। फडणवीस अब तक कृषि, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, और वन विभाग समेत छह विभागों की समीक्षा बैठकें कर चुके हैं। लेकिन अधिकारियों के मुताबिक इन बैठकों में संबंधित मंत्री उपस्थित नहीं रहे। बैठकों में अतिरिक्त मुख्य सचिवों ने कार्य योजना का प्रस्तुतिकरण किया।

बतादें मुख्यमंत्री बनने के बाद फडणवीस ने सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि 100 दिनों के भीतर क्या योजनाएं और कार्यक्रम प्राथमिकता में रखे जाने चाहिए, इसे लेकर कार्य योजना बनाई जाए। इसके बाद कैबिनेट का विस्तार हुआ और विभागों का आवंटन हुआ। इस प्रक्रिया के चलते कई मंत्री अपने दफ्तरों में बैठकों और कामकाज की शुरुआत नहीं कर पाए हैं।

तेज फैसले, लेकिन मंत्रियों की सुस्ती

जहां फडणवीस तेज गति से बैठकों और निर्णयों पर ध्यान दे रहे हैं, वहीं कई मंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रैलियों और सत्कार समारोहों में व्यस्त हैं। यह स्थिति विभागीय कामकाज और योजनाओं के क्रियान्वयन में धीमापन दिखा रही है।मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि पहली 100 दिनों की कार्य योजना को गंभीरता से लागू किया जाना चाहिए, ताकि राज्य में प्रशासनिक सुधारों को तेजी से लागू किया जा सके।

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