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MUMBAI : ट्यूमर से जा सकती जान,नई तकनीक बनी वरदान

मुंबई । दिल में ट्यूमर होने पर पहले मरीजों को घंटों कार्डियक सर्जरी डिपार्टमेंट के बाहर इंतजार करना पड़ता था। लेकिन मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी ने इसे बीमारी को दूर करने के प्रयासों को और आसान कर दिया है। इसी क्रम में यमन की रहने वाली 34 वर्षीय महिला के मेडिकल रिपोर्ट में दिल के भीतर एक ट्यूमर का पता चला, जो आकार में 6 सेमी तक बढ़ने से जानलेवा हो गया था। ऐसी स्थिति में समय रहते उसकी सर्जरी कर चिकित्सकों ने जान बचा ली।
भागमभाग भरी जिंदगी में पता ही नहीं चलता कि आपके शरीर के अंदर ऐसी कौन सी हलचल चल रही है जिससे कब, कहां और कैसी परेशानियों का सामना करने पड़ सके।ऐसी स्थिति में तकनीक न हो तो आदमी को बचाना संभव नहीं होता। रोज हर दिन ने नए तकनीक के ईजाद की वजह से अब लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। बशर्ते आप वक्त रहते डॉक्टर के पास पहुंच जाए। आज तकनीक के कारण ही कई ऐसे हृदय बीमारी से पीड़ित मरीज मिल जाएंगे, जिनकी वजह से उनकी जान बच पाई है। ऐसे ही एक मामले में यमन की रहनेवाली अफीना (34) को तेजी से सांस लेने के कारण चलने या अन्य शारीरिक गतिविधियों के साथ-साथ दैनिक गतिविधियों में कठिनाई का अनुभव हुआ। चिकित्सा जांच में कार्डियक ट्यूमर का निदान किया। डॉक्टर ने भी ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की सलाह दी। लेकिन यमन में कोई भी डॉक्टर इस जोखिम भरे सर्जरी को करने के लिए तैयार नहीं था। आखिरकार महिला स्थानीय डॉक्टर की मदद से परेल के ग्लोबल अस्पताल पहुंच गई| सीवीटीएस और हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट सर्जन. डॉ चंद्रशेखर कुलकर्णी का कहना है कि शुरू में एक 2डी इकोकार्डियोग्राम से पता चला कि हार्ट के अंदर 6 सेंटीमीटर का एक बड़ा ट्यूमर है। इस ट्यूमर को देखते हुए ओपन हार्ट सर्जरी बहुत जोखिम भरी होती। ऐसी स्थिति में सर्जिकल चुनौती पर मात करने के लिए मिनिमली इनवेसिव थोरैक्टोमी को चुना गया। तेजी से रिकवरी, मामूली निशान और जटिलताओं से बचने के लिए केवल 8 सेंटीमीटर का चीरा लगाकर ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया।

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कैथेटर डालकर किया जाता है सिटी स्कैन

उन्होंने कहा कि इंटरवेंशनल रेडियॉलजी के जरिए सीने में कैथेटर डालकर सीटी स्कैन के जरिए दिल के ट्यूमर का पता लगाया जाता है। इसके बाद उसे बाहर निकाल लिया जाता है। इससे हार्ट और उसके आस-पास मौजूद दूसरे नर्व और ऑर्गन पर कोई असर भी नहीं पड़ता है। इस प्रोसिजर को मेडिकल भाषा में कार्डियक एंजियोसारकोमा कहते हैं।डॉ. कुलकर्णी ने कहा कि कार्डिएक ट्यूमर बहुत ही दुर्लभ है। इससे पीड़ित मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और हृदय संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार के कार्डियक ट्यूमर का निदान इकोकार्डियोग्राम द्वारा किया जाता है। कार्डियक ट्यूमर का निदान होने के बाद प्रारंभिक सर्जरी की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे स्ट्रोक और दिल की विफलता जैसी जानलेवा जटिलताएं भी हो सकती हैं।

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