मुंबई । अमेरिका के एक नामी कैंसर रोग विशेषज्ञ ने अलर्ट किया है कि वैश्वीकरण, बढ़ती अर्थव्यवस्था, आबादी और बदलती जीवन शैली के कारण हिंदुस्थान को जानलेवा कैंसर की ‘सुनामी’ का सामना करना पड़ेगा। इससे प्रभावी तरीके से निपटने के लिए उन्होंने प्रौद्योगिकी आधारित चिकित्सा तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया है। विकास की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हिंदुस्तान को लेकर किए गए एक दावे ने सरकार के साथ ही जनता को भी चिंता में डाल दिया है।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के अनुमानों के अनुसार डेमोग्राफिक चेंज के कारण 2040 में दुनिया भर में कैंसर रोगियों की संख्या 2.84 करोड़ होने की आशंका है, जो 2020 की तुलना में 47 प्रतिशत अधिक होगी। साल 2020 में दुनिया भर में अनुमानित तौर पर कैंसर के 1.93 करोड़ नए मामले आए और करीब एक करोड़ लोगों की कैंसर से मौतें हुईं। आगामी समय में महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या सर्वाधिक होगा। फिलहाल इस समय कैंसर से होने वाले मौतों में लंग्स कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक है।
डॉ. अब्राहम ने कहा है कि भविष्य में कैंसर के मरीजों के बढ़ते आंकड़ों को रोकना है तो इस पर टीकाकरण ही एक मात्र विकल्प है। बीते कुछ सालों में कैंसर पर विभिन्न टीकों को तैयार किया गया है। लेकिन इस समय इन सभी टीकों पर परीक्षण शुरू है। सबसे सकारात्मक बात यह है पहले चरण में इन सभी परीक्षणों को सफलता मिली है। क्वीवलेंड क्लिनिक ब्रेस्ट कैंसर पर भी टीका तैयार किया जा रहा है। भविष्य में आनुवंशिक प्रोफाइलिंग या परीक्षण के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर और कोलन कैंसर का प्रारंभिक चरण में पता लगाया जा सकता है।