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बहती नदी से शव लेजाने को मजबूर आदिवासी परिवार, ग्रामीणों को वर्षो से है पुल का इंतजार

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मुंबई । उरण विधानसभा क्षेत्र(Uran Assembly Constituency)के खालापुर आदिवासी वाड़ी में रहने वाले नागरिकों को जान जोखिम में डालकर अंतिम यात्रा निकाले जाने का मामला सामने आया है। इस गांव में रहने वाले बच्चो को स्कूल ,मरीजों को अस्पताल के साथ ही शव यात्रा भी इसी नदी के तेज बहाव से होकर जाने के लिए मजबूर है इस गांव के लोगो द्वारा वर्षो से पुल की मांग की जा रही है लेकिन पुल बनाने के नाम पर मात्र उदघाटन कर खानापूर्ति किया गया लेकिन आज तक निर्माण कार्य शुरू नही हो सका है ।

नवी मुंबई से लगे रायगढ़ जिले के उरण विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खालापुर तालुका के अरकाट वाडी निवासी कमल बालू चौधरी का गुरुवार को निधन हो गया। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पिरकट वाडी में नदी के दूसरे तरफ है, इसलिए आदिवासियों को उनके शव को दाह संस्कार के लिए नदी पार ले जाना पड़ता है। इस अवसर पर सभी आदिवासी भाइयों को अपनी जान पर खेलकर काम करना पड़ता है। नदी का बहाव तेज होने पर इसी धारा से उनकी शवयात्रा निकाली जाने लगी है। उंबरवाडी पीरकटवाडी और आरतवाडी के आदिवासी समुदाय की वर्षों से मांग रही है कि यहां बच्चों के स्कूल आने-जाने के लिए एक पुल की जरूरत है, लेकिन उरण विधानसभा क्षेत्र के भाजपा समर्थक विधायक बाल्दी ने इस पुल का भूमिपूजन सिर्फ नाम के लिए ही किया है और आज तक भी उस पुल के निर्माण के लिए यहां साधारण पत्थर नहीं रखा गया है। स्कूल दूसरी तरफ होने के कारण बच्चों को भी इसी नाले से होकर स्कूल जाना पड़ता है। जो लोग बीमार हैं उन्हें इलाज के लिए नदी के दूसरी ओर ले जाना पड़ता है। आदिवासी समाज का उपयोग सिर्फ वोट पाने के लिए किया जाता है और उनका विकास शून्य है। होने की बात आदिवासी समाज का शिक्षित वर्ग इस तरह की बातें कर रहा है।

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