मुंबई
शिंदे सरकार की सत्ता आने के बाद से ही राज्य के कई उद्योगों को गुजरात और अन्य राज्यों में भेजा गया है। इस बीच अब महाराष्ट्र की उप राजधानी नागपुर में स्थित बाघों और तेंदुओं को भी गुपचुप तरीके से गुजरात के जामनगर में भगा ले जाने का सनसनीखेज बात का खुलासा हुआ है।
नागपुर के गोरेवाडा रेस्क्यू सेंटर से शनिवार २१ जनवरी की रात चार बाघ और चार तेंदुओं को गुजरात भेजा गया। इसकी दो दिनों तक किसी को भनक तक नहीं लगी। हालांकि यह मामला सबके सामने आने के बाद इस पर वन्य जीव प्रेमियों ने कड़ी आपत्ति जताई है। इंसान और जंगली जानवरों के संघर्षों को रोकने का कारण बताकर अधिकारी इस पर बात करने में टालमटोल करते दिखे, जिसे देखते हुए इसे लेकर संदेह और बढ़ गया है।
कुछ दिन पहले गुजरात भेजा गया था हाथी
कुछ दिन पहले यहां से हाथियों को गुजरात भेजा गया था। इसके बाद बुधवार ११ जनवरी को ब्रम्हपुरी स्थित रेस्क्यू किए गए एक बाघ और बाघिन को बोरीवली के संजय गांधी उद्यान से भेजा गया था। इसकी जानकारी गोरेवाडा प्रबंधन ने प्रेस नोट के माध्यम से मीडिया को दी थी। अब अचानक बड़ी संख्या में बाघ और तेंदुए जामनगर भेजे जाने के बाद गोरेवाडा प्रबंधन ने मीडिया को कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।
‘साहेबराव’ को नहीं ले गए!
संजय गांधी उद्यान के लिए बाघ की जोड़ी रवाना करते समय जामनगर (गुजरात) स्थित एक बड़े उद्योगपति के निजी प्राणी संग्रहालय के कुछ अधिकारियों की टीम गोरेवाडा पहुंची थी। कहा जा रहा है कि केंद्रीय प्राणी संग्रहालय प्राधिकरण की तरफ जिन बाघों की रवानगी के लिए मंजूरी दी गई थी, उनके बजाय ये टीम दूसरे बाघों को साथ ले गई। इसे लेकर गुजरात के निजी प्राणी संग्रहालय के अधिकारियों की उपस्थिति को लेकर सवाल उपस्थित किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार प्राधिकरण ने निजी प्राणी संग्रहालय के लिए गोरेवाडा का बाघ ‘साहेबराव’ को भेजने की मंजूरी दी थी। लेकिन गुजरात की टीम साहेबराव को नहीं ले गई। इसलिए चर्चा हो रही है कि इस मामले में केंद्रीय प्राणी संग्रहालय प्राधिकरण के नियमों का उल्लंघन किया गया है।