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आंखों में धूल झोंक, मुनाफे की लालच में दुश्मन से व्यापार,एपीएमसी के कुछ व्यापारी बेच रहे चीन का लहसुन, लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

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नवी मुंबई। वाशी स्थित एपीएमसी(APMC located in Vashi)की आलू- प्याज की मंडी में कारोबार कर रहे कुछ व्यापारी मुनाफा कमाने के चक्कर में चीन के लहसुन को बेच रहे हैं।यह व्यापारी अपना बचाव करने के लिए उक्त लहसुन को अफगानिस्तान, नेपाल जम्मू व भारत के अन्य शहर से यह लहसुन आया है, ऐसा बताकर देश के नागरिकों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। चीन का लहसुन केमिकल युक्त बताया जा रहा है

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बता दें कि भारत में लहसुन की कमी होने की वजह से थोक में इसकी कीमत 270 रुपए किलो तक पहुंच गई है, इस का फायदा उठाने के लिए एपीएमसी में कारोबार कर रहे कुछ व्यापारियों ने चीन से 5 कंटेनर लहसुन आयात किया है, हर कंटेनर में 25-25 टन लहसुन है. गौरतलब है कि आलू-प्याज के बाद थोक में लहसुन की कीमत में उछाल जारी है।शनिवार को वाशी स्थित एपीएमसी में 2774 बोरी लहसुन की आवक हुई, जिसमें उटी से आए लहसुन का प्रमुख रूप से समावेश है, जिसे थोक में 180 से 280 रुपए किलो बेचा गया।

 

आवक कम होने से बढ़ी कीमत

वहीं देसी लहसुन को थोक में 140 से 230 रुपए किलो बेचा गया, इन दोनों के साथ ही चीन से आए लहसुन को 150 से 270 रुपए किलो बेचा गया।थोक में कीमत बढ़ने की वजह से अब खुदरा बाजार में लहसुन की कीमत 400 रुपए किलो के पार पहुंच गई है, जिसकी वजह से गृहणियों को अब लहसुन का तड़का लगाना भी भारी पड़ रहा है।एपीएमसी की आलू-प्याज की मंडी में थोक में कारोबार कर रहे मनोहर तोतलानी के अनुसार इस साल लहसुन का उत्पादन कम हुआ है, जिसकी वजह से मंडी में लहसुन की आवक कम हो रही है. अच्छी गुणवत्ता के लहसुन की कमी है, इस वजह से साधारण दर्जे के लहसुन की मांग भी बढ़ गई है, इसके चलते थोक में लहसुन की कीमत में वृद्धि होने का सिलसिला जारी है. नई फसल के तैयार होने तक लहसुन की कीमत में उछाल जारी रहने की संभावना है।मनोहर तोतलानी ने बताया कि विगत 2 माह से मंडी में आलू-प्याज और लहसुन की आवक कम हो रही है, जिसमें से अधिकांश की गुणवत्ता खराब निकल रही है, इस वजह से अच्छी गुणवत्ता वाले आलू, प्याज और लहसुन की मांग बढ़ गई है. अच्छी गुणवत्ता के आलू, प्याज और लहसुन की कमी की वजह से थोक में हल्के दर्जे के आलू, प्याज और लहसुन की कीमतें भी बढ़ गई है. विदेश से लहसुन मंगाने वाले व्यापारी देश के किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाकर देश के दुश्मन को आर्थिक फायदा करा रहें हैं, जिसे रोकने के लिए भारत सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए।

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वाशी स्थित एपीएमसी में शनिवार को महाराष्ट्र के नासिक और लासलगांव से 26305 बोरी प्याजा आया, जिसमें से नंबर-1 के प्याज को 39 से 40 रुपए किलो बेचा गया, वहीं नंबर-2 का प्याज 35 से 36 रुपए किलो बिका, जबकि सबसे हल्के दर्जे का प्याज 10 से 18 रुपए किलो बिका।गौरतलब है कि 4 माह पहले वाशी स्थित आलू-प्याज की मंडी में प्याज की अधिकतम कीमत 20 रुपए किलो और न्यूनतम कीमत 9 रुपए किलो थी। इस समय मंडी में लगभग 35000 बोरी प्याज की आवक हो रही थी, आवक घटने और क्वालिटी में कमी होने की वजह से अब थोक में प्याज की कीमत दिनों दिन बढ़ रही है।

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