जो इंडिया / मुंबई
रेलवे द्वारा वेटिंग लिस्ट (Waiting list by railways) की सीमा तय किए जाने के बाद पश्चिम रेलवे ( western railway) में वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, स्लीपर श्रेणी में वेटिंग टिकट धारकों की संख्या 61% और थर्ड एसी में 24% कम हुई है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि वेटिंग लिस्ट की सीमा तय करने और आरक्षित कोच में वेटिंग टिकट यात्रियों के यात्रा पर रोक लगाने के कारण यह गिरावट आई है।
रेलवे का फैसला
रेलवे ने वेटिंग लिस्ट की सीमा को तर्कसंगत बनाने (रेशनलाइजेशन) का निर्णय लिया है, जिसके तहत अब स्लीपर और थर्ड एसी कोच में जरूरत से ज्यादा वेटिंग टिकट जारी नहीं किए जा रहे हैं। इससे यात्रियों को कन्फर्म सीट मिलने की संभावना बढ़ गई है। रेलवे सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव से लंबी दूरी के यात्रियों को अधिक लाभ हुआ है। पहले वेटिंग टिकट पर यात्रा करने वाले यात्रियों को असुविधा होती थी, लेकिन अब केवल कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को ही सफर करने दिया जा रहा है।
पश्चिम रेलवे में बदलाव
पश्चिम रेलवे भी अब मध्य रेलवे की तरह सीमित संख्या में वेटिंग टिकट जारी कर रहा है, जिससे यात्रा के दौरान भीड़भाड़ कम हो गई है। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक के अनुसार, विभिन्न श्रेणियों में वेटिंग टिकट की संख्या इस प्रकार कम की गई है:
फर्स्ट एसी: 31%
सेकंड एसी: 46%
थर्ड एसी: 55%
स्लीपर: 64%
थर्ड एसी इकॉनमी: 53%
यात्रियों की प्रतिक्रिया
हालांकि रेलवे के इस फैसले से यात्रियों की मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ यात्री कन्फर्म टिकट मिलने की संभावना बढ़ने से संतुष्ट हैं, जबकि कई अन्य यात्रियों को परेशानी हो रही है।
आनंद उपाध्याय (यात्री) का कहना है किü“पहले आसानी से वेटिंग टिकट मिल जाता था, जिससे हम यात्रा कर सकते थे, लेकिन अब वेटिंग टिकट पर यात्रा करना संभव नहीं रहा। उत्तर भारत जाने वाली हर ट्रेन में पीक सीजन में कन्फर्म टिकट मिलना मुश्किल हो गया है।”