मुंबई। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के तीन साल के कार्यकाल के दौरान लगभग 131 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से 92 घटनाएं रेलवे ट्रेनों के पटरी से उतरने की थीं।जिसमे से कई घटनाएं मुंबई मे भी हुई है। इससे मुंबई लोकल कितनी सुरक्षित है।
ओडिशा और पश्चिम बंगाल में हुए ट्रेन हादसों के बाद रेल मंत्री के कामकाज पर सवाल उठाते हुए अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की गई थी। साथ ही लगातार ट्रेन दुर्घटनाओं का मुद्दा भी उठाया जा रहा आठ इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता अजय बोस ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव रेल मंत्रालय से रेल दुर्घटनाओं की संख्या की जानकारी मांगी थी। रेल मंत्री के मुताबिक 7 जून 2021 से 17 जून 2024 तक भारतीय रेलवे में कुल 131 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं। इन हादसों में 92 हादसे सिर्फ रेलवे की ट्रेनों के पटरी से उतरने के हैं रेल मंत्रालय ने आरटीआई के जवाब में बताया है कि 64 यात्री ट्रेनें और 28 मालगाड़ियां पटरी से उतर गईं है। इस बीच बस्ती मे गुरुवार को रेल दुर्घटना हुई है इसके बाद एक बार फिर मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली मुंबई लोकल की सुरक्षा को लेकर भी सवाल किए जाने लगे है इसका कारण है पिछले कुछ महीने से मुंबई ओर आस पास मे हुई रेलवे दुर्घटना। इतनी सारी दुर्घटनाओ के बाद मुंबई लोकल कितनी सुरक्षित है ऐसे सवाल किए जाने लगे है।
हादसे के बाद भी मोदी पर भरोसा?
जब से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल मंत्री का पदभार संभाला है, यात्री रेलगाड़ियां |पटरी से उतरने की घटनाएं लगातार हो रही हैं ट्रेन हादसों में अब तक एक हजार लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में हुई 300 मौतें भी शामिल हैं। वैष्णव के कार्यकाल में कुल 12 ट्रेनें पटरी से उतरीं। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेल मंत्री वैष्णव का समर्थन कर रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल बोस ने कहा कि भले ही उन्होंने पिछली कैबिनेट में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, फिर भी उन्हें नई कैबिनेट में रेल मंत्री का प्रभार दिया गया है।
रेल मंत्री के कार्यकाल में इतनी रेलें दुर्घटना बहुत गंभीर मामला है प्रधानमंत्री को स्वयं इस पर ध्यान देना चाहिए। प्रधानमंत्री को जानना चाहिए कि हादसे के बाद रेलवे ने क्या कार्रवाई की।
-अभिषेक पांडे, संयोजक, आम आदमी पार्टी
केंद्र में लगातार दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बीजेपी ने ट्रेन से यात्रा की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय किए जाने की अपेक्षा की गई थी; लेकिन इसके अलावा, हाई स्पीड ट्रेनों और रेलवे के निजीकरण पर भी जोर दिया गया है। इसलिए प्रधानमंत्री को रेलवे के मामलों पर ध्यान देना जरूरी है|
– एड अशोक कुमार दुबे, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अपना पूर्वांचल महासंघ