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Traveling without ticket in AC coach: रेलवे कर्मचारियों की मनमानी पर उठा सवाल

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जो इंडिया / मुंबई:

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मुंबई की लोकल ट्रेनों (Local Trains) में यात्रियों की भीड़ और सुरक्षा को लेकर रेलवे प्रशासन  (Railway Administration) अलर्ट मोड में है। मुंब्रा हादसे के बाद जहां रेलवे ने प्लेटफार्म पर भीड़ नियंत्रण के लिए आरपीएफ (RPF)की तैनाती और टीसी की सख्ती बढ़ा दी है, वहीं एक नया विवाद सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में यह खुलासा हुआ है कि कई रेलवे कर्मचारी एसी लोकल और फर्स्ट क्लास डिब्बों में बिना टिकट सफर कर रहे हैं, और यूनियन कार्ड या पहचान पत्र दिखाकर जुर्माने से बच रहे हैं, जबकि आम यात्रियों को जुर्माना भरना पड़ता है।

इस वीडियो में एक यात्री एसी कोच में टीसी से सवाल करता नजर आता है कि बिना टिकट सफर कर रहे रेलवे कर्मचारी पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जा रहा है। इस सवाल पर टीसी चुप हो जाते हैं और कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और यात्रियों के बीच न्याय और नियमों की समानता को लेकर बहस छिड़ गई है।

इस मामले पर जब संवाददाता ने मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की तो उन्होंने स्पष्ट किया कि एसी लोकल या फर्स्ट क्लास डिब्बों में केवल वही रेलवे कर्मचारी पास का उपयोग करके यात्रा कर सकते हैं जिनका ग्रेड पे 4200 या उससे अधिक है। अन्य कर्मचारियों को टिकट लेना अनिवार्य है और यदि वे बिना टिकट पाए जाते हैं तो उन पर भी आम यात्रियों की तरह जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

पश्चिम रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे कर्मचारियों को यात्रा के लिए प्रॉपर पास जारी किए जाते हैं, जिन्हें दिखाकर वे यात्रा कर सकते हैं। रेलवे यूनियन कार्ड या आईडी कार्ड यात्रा पास के रूप में वैध नहीं होते। यदि कोई कर्मचारी केवल यूनियन कार्ड दिखाकर सफर करता है तो यह नियमों के खिलाफ है और टीसी को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

यात्रियों में नाराजगी
नालासोपारा निवासी विशाल का कहना है कि “अगर आम यात्री बिना टिकट पकड़ा जाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है, फिर रेलवे कर्मचारियों को ये विशेषाधिकार क्यों? नियम सबके लिए समान होने चाहिए।”
वहीं भाईंदर निवासी अरुण ने बताया कि “पीक ऑवर्स में फर्स्ट क्लास और एसी डिब्बों में रेलवे कर्मचारी भर जाते हैं, जिससे टिकट लेकर चढ़ने वाले यात्रियों को परेशानी होती है।”

इस मुद्दे ने रेलवे की आंतरिक व्यवस्था और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यात्रियों ने रेल मंत्रालय से मांग की है कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई की जाए और यात्रियों के साथ भेदभाव बंद किया जाए।

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