जो इंडिया / मुंबई: ईद के मौके पर केंद्र सरकार (Central government) की ओर से 32 लाख मुसलमानों को ‘सौगात-ए-मोदी’ (‘Gift-e-Modi’) नाम से उपहार किट बांटने की योजना का ऐलान होते ही राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। जहां भाजपा इसे ‘सांस्कृतिक सौहार्द’ (‘Cultural harmony’) का प्रतीक बता रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी स्टंट बता रहा है।
वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने इस योजना पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि “यह कोई ईद का तोहफा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक एजेंडा है।” उन्होंने सवाल उठाया कि जिन हाथों पर मुसलमानों के खून के धब्बे हैं, वे अब मिठाई और कपड़े देकर सबकुछ भुलाने की कोशिश कर रहे हैं।
‘मुस्लिम भावनाओं के साथ छलावा’
प्रकाश आंबेडकर ने गोधरा कांड, मॉब लिंचिंग की घटनाएं और बिलकिस बानो केस का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस का इतिहास मुस्लिम विरोधी रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या मुसलमान इतने भोले हैं कि वे केवल एक किट से सब कुछ माफ कर देंगे?
धार्मिक नेताओं की चुप्पी पर उठे सवाल
उन्होंने मुस्लिम धार्मिक नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठाया और कहा कि चुनाव के वक्त बयान देने वाले मौलवी अब क्यों खामोश हैं? उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अब खुद समझना होगा कि कौन उनका सच्चा हितैषी है।
‘22 प्रतिशत हिंदू देश छोड़ना चाहते हैं’ – दावा
प्रकाश आंबेडकर ने दावा किया कि देश में 22% हिंदू आबादी देश छोड़ने की सोच रही है, ऐसे में भाजपा मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने की रणनीति अपना रही है। उन्होंने इसे ‘डैमेज कंट्रोल’ करार दिया।
राजनीति बनाम राहत: जनता में बंटा मत
जहां एक ओर भाजपा समर्थक इसे एक सकारात्मक पहल बता रहे हैं, वहीं विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी पैंतरा मान रही हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है।