जो इंडिया / मुंबई: हाईटेक शहर नई मुंबई (Hi-tech city Navi Mumbai) में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आधुनिकता और तकनीक (Modernity and technology) के इस युग में इंसान कितना अकेला और असहाय हो सकता है। एक समय का होनहार कंप्यूटर प्रोग्रामर अनूप कुमार नायर, उम्र 55 वर्ष, लगातार तीन साल तक अकेलेपन और अवसाद की गिरफ्त में रहा, और खुद को अपने फ्लैट में कैद कर लिया।
कमरे नहीं, जैसे कब्रें हों – सड़ांध और मल से भरा फ्लैट
फ्लैट से उठती तीव्र दुर्गंध ने पड़ोसियों को परेशान कर दिया था, लेकिन कोई भी अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। आखिरकार एक जागरूक नागरिक ने एनजीओ “सील” से संपर्क किया। जब संस्था के पादरी केएम फिलिप (The institution’s pastor KM Philip) अपनी टीम के साथ फ्लैट पहुंचे, तब बड़ी मुश्किल से अनूप ने दरवाजा खोला।
जो दृश्य सामने आया वह मानवता को शर्मसार कर देने वाला था – कमरों में इंसानी मल फैला हुआ, फर्श पर सड़ा-गला खाना, दीवारों पर गंदगी और कीड़े।
टूटी कुर्सी ही बनी थी बिस्तर, इंसान का शरीर भी बदहाल
अनूप महीनों से नहाए नहीं थे, उनके पैरों में गंभीर संक्रमण था। कोई बिस्तर, कोई फर्नीचर नहीं बचा था। वे एक टूटी कुर्सी पर बैठे-बैठे सोते थे, और शायद ही किसी से बात करते थे।
एनजीओ की टीम ने उन्हें पनवेल स्थित रेस्क्यू सेंटर में भर्ती कराया। अब उन्हें मनोचिकित्सा, मानसिक परामर्श, भोजन और दवाएं दी जा रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हालत गंभीर है, लेकिन सुधार की संभावना है।
अतीत की त्रासदी ने तोड़ा इंसान को
जानकारी के अनुसार, अनूप के पिता वीपी कुट्टीकृष्णन नायर (टाटा अस्पताल) और मां पूनमम्मा नायर (भारतीय वायुसेना) अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनका इकलौता भाई 20 साल पहले आत्महत्या कर चुका है। परिवारिक बिखराव, अकेलापन और लगातार सामाजिक दूरी ने अनूप को एक गहरे मानसिक अंधेरे में धकेल दिया।
डिजिटल दुनिया का एकमात्र सहारा – फूड डिलीवरी ऐप्स
पूरे तीन वर्षों में अनूप का इकलौता संपर्क था ऑनलाइन फूड डिलीवरी। न कोई दोस्त, न रिश्तेदार, न कॉल, न मेहमान। उनका जीवन धीरे-धीरे एकांत और बदहाली के दलदल में डूबता गया।