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लोकल’ की प्यास बुझेगी कैसे

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आईआरसीटीसी के हाथ झटकने से एक बार फिर ‘रेल नीर’ का संकट गहरा गया है।साल भर में चार बार सप्लाई बंद होने से यात्रियों को समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है जिसके बाद एक बार फिर रेल नीर बंद करने की घोषणा से स्टॉल धारको में नाराजगी फैली हुई है।दर असल आईआरसीटीसी ने अचानक एक फरमान जारी कर पश्चिम रेलवे और मध्य रेलवे के स्टेशनों पर रेल नीर की सप्लाई नहीं करने में असमर्थता जताई है।

ताकि लंबी दूरी के यात्रियों की प्यास बुझाई जा सके। लेकिन इस फरमान के बाद लोकल की प्यास कैसे बुझेगी इसका कोई विकल्प न तो रेल अधिकारियों के पास है और न ही स्टॉल धारकों के पास है। गौर करने वाली बात ये है कि इस साल ऐसा चौथी बार हो रहा है जब डिमांड और सप्लाई का अंतर पूरा नहीं कर पाने की वजह से आईआरसीटीसी द्वारा ‘रेल नीर’ की सप्लाई प्रभावित हो रही है।

बता दें कि शुक्रवार को आईआरसीटीसी द्वारा पत्र जारी कर पश्चिम रेलवे के मुंबई डिविजन में शनिवार से रेल नीर की सप्लाई बंद करने की घोषणा की गई। 29 अक्टूबर से 15 नवंबर तक बोरीवली से विरार, वापी और वलसाड स्टेशन पर रेल नीर की सप्लाई नहीं होगी। इसके अलावा मध्य रेलवे पर कल्याण से आगे और हार्बर लाइन पर भी सप्लाई बंद की जा रही है।

रेल नीर संकट में फंसे स्टॉल वाले
स्टॉल वालों का कहना है कि ऐसा फैसला लेने के कम से कम एक सप्ताह पहले तो बताना ही चाहिए। एक स्टॉल वाले ने बताया कि इस साल चौथी बार ऐसा हुआ है। जब सीजन में डिमांड बढ़ जाती है, तो आईआरसीटीसी को स्टॉक रखने के पर्याप्त प्रबंध करने चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। अब अचानक लोकल स्टेशनों पर पानी की सप्लाई नहीं होने से हम रेल नीर के संकट में फंस गए है।

अचानक बढ़ गई थी डिमांड
आईआरसीटीसी के अनुसार अंबरनाथ में रोजाना 13,500 रेल नीर की बोतलें बनाई जाती हैं, जबकि पिछले एक सप्ताह से 18 हजार कार्टन प्रतिदिन डिमांड होने लगी थी। सीजन से पहले 80 हजार अतिरिक्त बोतलों का स्टॉक भी था, जो डिमांड बढ़ने के कारण धीरे-धीरे खत्म हो गया। पश्चिम रेलवे के अलावा मध्य रेलवे पर कल्याण से आगे और हार्बर लाइन पर भी अस्थाई तौर पर सप्लाई रोकने का फैसला लिया गया है। आईआरसीटीसी ने बताया कि भविष्य में भुसावल में जब रेलनीर का प्लांट कमिशन होगा, तब इस तरह की समस्याएं बंद होंगी।

कैसे पूरी होगी डिमांड
आईआरसीटीसी द्वारा हाथ झटकने के बाद अब स्टॉल वालों की परेशानी बढ़ गई है। संकट ये ही की मार्केट में 20 रुपये एमआरपी की बोतल बिकती हैं, जबकि रेलवे में 15 रुपये की एमआरपी होती है। शॉर्ट पीरियड के लिए शॉर्ट नोटिस में कोई भी स्पेशल डिमांड को पूरा करने के लिए तैयार नहीं है। स्टॉल वालों का कहना है कि इस तरह ब्रेक लेकर कोई धंधा नहीं करता है। 15 दिन बाद स्टॉल वालों को दोबारा रेल नीर बेचने के लिए कहा जाएगा, तब मार्केट से डिमांड पूरी करने वालों का क्या होगा?अगर लोगो के डिमांड का ध्यान न रखा गया तो बहुत भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।आईआरसीटीसी को चाहिए कि जल्द जल्द भुसावल के पलांट पर कार्य किया जाना चाहिए।ताकि रेल नीर के संकट से निजात मिल पाएँ।

 

 

 

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