जो इंडिया / पुरी (ओडिशा):
विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा (The grand Rath Yatra of Lord Jagannath in Puri) का दूसरा दिन भी अपार आस्था, उल्लास और भक्ति भाव से ओतप्रोत रहा। आज सुबह से ही पूरे शहर में ‘जय जगन्नाथ’ के जयकारे गूंजने लगे और भक्तों की भीड़ ने रथ खींचने की परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभाया।
शनिवार, 28 जून को सुबह 9:30 बजे से रथ यात्रा फिर से शुरू हुई। परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को तीन अलग-अलग रथों में सवार कर मौसी के घर गुंडिचा मंदिर की ओर ले जाया जा रहा है। शुक्रवार को यात्रा की शुरुआत शाम 4 बजे हुई थी, परंतु अत्यधिक भीड़ और कुछ श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ने के कारण शाम को यात्रा रोकनी पड़ी थी।
गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है और यह रथ यात्रा मात्र धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का एक अद्भुत उदाहरण बन गई है। करीब 2.5 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं और तीनों रथों को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।
पुरी की सड़कें इस समय भक्ति रस में डूबी हुई हैं। जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम, कीर्तन मंडलियां और भजन गायक श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी संख्या में पुलिसकर्मी, ड्रोन कैमरे, मेडिकल टीम और एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। रथ यात्रा मार्ग पर विशेष बैरिकेडिंग, जल सेवा, मोबाइल क्लिनिक, और खोया-पाया केंद्र भी बनाए गए हैं।
भक्तों का मानना है कि इस दिन भगवान स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं और उनकी पीड़ा हर लेते हैं। यही कारण है कि हर वर्ग, जाति, धर्म और समुदाय के लोग इस आयोजन में भाग लेते हैं और सांप्रदायिक एकता का अनूठा संदेश देते हैं।
तीनों देवता एक सप्ताह तक गुंडिचा मंदिर में विश्राम करेंगे और फिर उसी उत्साह से ‘बहुदा यात्रा’ के जरिए जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे। इस पूरे आयोजन को देखने और अनुभव करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं, जिससे यह यात्रा भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बन गई है।