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विश्व को पोलिओ का टीका देने वाला एकमात्र भारतीय संस्थान तोड़ रहा है दम, फंड के आभाव में जर्जर हुई Haffkine की मशीनें, Polio vaccine सप्लाई बंद.

Haffkine institute and research centre
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Haffkin Institute : polio vaccine, दो बूंद जिंदगी के… ये जो इंडिया है..  Joindia : ज्योति दुबे / मुंबई
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हाफकिन (Haffkine) इंस्टीट्यूट (Haffkin Institute), जो दुनिया को महत्वपूर्ण किस्म के टीके निर्यात करता है। दो बूंद जिंदगी के… इस चर्चित स्लोगन को देश के महानायक अमिताभ बच्चन के द्वारा बोलते हुए पूरे विश्व में सुना है, पोलियो को ठीक करने के लिए जो टीका बनाया जाता है उस टीके को बनाने वाली भारत की एकमात्र संस्थान हाफकिन इंस्टिट्यूट इन दिनों वित्तीय संकट के चलते दम तोड़ते नजर आ रहा है। मशीनरी की पुरानी स्थिति और फंड की भारी कमी के कारण संस्थान में टीकों का उत्पादन ठप हो गया है। हाफकिन को पुनर्जीवित करने के लिए 465 करोड़ रुपये के फंड की जरूरत है। हाफकिन संस्थान, जो महाराष्ट्र सरकार के अधीन आता है, सर्पदंश और पोलियो (Snakebite and Polio) के टीकों का उत्पादन करता है और इन्हें निर्यात भी करता है।

संस्थान, जो महाराष्ट्र सरकार के अधीन आता है, सर्पदंश और पोलियो (Snakebite and Polio) के टीकों का उत्पादन करता है और इन्हें निर्यात भी करता है। फिलहाल, फंड की कमी के कारण इसका उत्पादन प्रभावित हो रहा है और कई देशों को वैक्सीन्स (Vaccines) की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

  • राज्य सरकार (state government) ने इस संकट का समाधान करने के लिए पहल की है और खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री नरहरी झिरवल (Food and Drug Administration Minister Narhari Jhirwal) ने इस संबंध में आदेश दिए हैं।15 करोड़ रुपये की तात्कालिक व्यवस्था की गई है, लेकिन संस्थान के पुनर्जीवित होने के लिए अतिरिक्त फंड की जरूरत है।
घाटे में हाफकिन संस्थान 
सरकारी उपेक्षा के कारण हाफकिन 2018-19 से घाटे में चल रहा है। पहले लाभ में रहने वाला यह संस्थान अब वेतन देयकों के कारण 5 करोड़ रुपये के घाटे में जा चुका है, जो पिछले साल तक बढ़कर 11 करोड़ रुपये हो गया।

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हाफकिन को 450 करोड़ रुपए फंड की जरूरत, कहां लगेगा कितना फंड?
  • 165 करोड़ – मुंबई में उत्पादन के लिए
  • 100 करोड़ – पिंपरी में उत्पादन के लिए
  • 200 करोड़ – भविष्य की परियोजनाओं के लिए
  • 230 करोड़ – व्यवसाय के विस्तार के लिए
  • 80 करोड़ – मंडल को लाभ प्राप्त होगा

कर्मचारियों को फरवरी तक वेतन मिल पाएगा

संस्थान को कर्मचारियों को केवल फरवरी तक वेतन देने के लिए ही फंड उपलब्ध है। राज्य सरकार से 14 करोड़ रुपये का भुगतान अभी भी बकाया है।

संस्थान की पुनर्निर्माण प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए राज्य सरकार जल्द कदम उठाएगी।

 

 

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