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Government committee on train safety: मुंबई लोकल हादसों पर गंभीर हुई सरकार: सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव पर विचार, 12 सदस्यीय समिति गठित

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जो इंडिया / मुंबई:

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मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनें (Local Trains) लगातार बढ़ती भीड़ और उससे होने वाली दुर्घटनाओं का बोझ उठाते-उठाते अब जानलेवा साबित हो रही हैं। पिछले तीन वर्षों में 7,565 लोगों की जान इस भीड़ ने निगल ली। इस भयावह स्थिति को देखते हुए आखिरकार राज्य सरकार जागी है और सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव की संभावना तलाशने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है।

यह समिति आगामी तीन महीनों में अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। मुंबई में भीड़ का आलम यह है कि पिक आवर्स में उपनगरीय लोकल ट्रेनें पूरी तरह ठसाठस भर जाती हैं। यात्री दरवाजों पर लटककर यात्रा करने को मजबूर होते हैं और कई बार असंतुलन के चलते गिरकर हादसों का शिकार हो जाते हैं। अकेले ठाणे से कल्याण स्टेशन के बीच एक साल में ही 741 मौतें हुईं।

राज्य सरकार के इस फैसले की जानकारी विधानसभा में दी गई। समिति में मुख्यमंत्री के सचिव श्रीकर परदेशी, सामान्य प्रशासन विभाग, नगर विकास विभाग, परिवहन आयुक्त, मुंबई शहर और उपनगर कलेक्टर जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं।

रेल मंत्रालय ने भी भेजा सुझाव
मुंबई लोकल के बढ़ते हादसों को लेकर रेल मंत्रालय पहले ही राज्य सरकार और शहर के निजी, सरकारी व अर्ध-सरकारी कार्यालयों को पत्र भेजकर कार्यालयों के समय अलग-अलग करने का सुझाव दे चुका है। रेलवे का तर्क है कि एक ही समय में सभी यात्रियों के स्टेशन पर उमड़ पड़ने से हालात और बिगड़ते हैं।

यूनियन की आपत्ति और सुझाव
महाराष्ट्र राज्य केंद्रीय कर्मचारी संघ के नेता विश्वास काटकर ने कहा कि कई कार्यालयों का कामकाज आपस में जुड़ा हुआ है, इसलिए समय अलग करना आसान नहीं होगा। हालांकि, अगर समन्वय के साथ बदलाव किया जाए तो विरोध का कोई कारण नहीं रहेगा। उन्होंने समिति से मांग की कि सिफारिशें बनाने से पहले कर्मचारियों और यूनियनों की राय भी अवश्य सुनी जाए।

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