जो इंडिया / नवी मुंबई
कृष्ण और सुदामा (Krishna-Sudama) की मित्रता आज भी आदर्श मानी जाती है, जहां दो मुट्ठी चावल के बदले भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र को दो लोक की संपदा प्रदान कर दी। भागवत कथा के सातवें दिन, कथा व्यास पं. राजकृष्ण शास्त्री (Katha Vyas Pt. Rajakrishna Shastri) ने कोपरखैरणे के विश्व भारती इंग्लिश स्कूल एंड कनिष्ठ महाविद्यालय (Vishwa Bharati English School & Junior College) में इस अनुपम मित्रता पर प्रकाश डाला।
ब्रज की होली पर विशेष प्रस्तुति
कथा के प्रारंभ में ब्रज की प्रसिद्ध होली का मनोरम चित्रण किया गया, जिसमें—
✅ लड्डू होली
✅ लट्ठमार होली
✅ फूलों की होली
✅ रंग-अबीर की होली
का वर्णन किया गया। कथा मंच पर फूलों की होली खेलकर जनमानस को विशेष रूप से आकर्षित किया गया।
कृष्ण-सुदामा की अमर मित्रता
कथा के दौरान संत राजकृष्ण शास्त्री ने बताया कि कृष्ण और सुदामा की मित्रता निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने इस प्रसंग का सार बताते हुए कहा—
> “सच्ची मित्रता धन-वैभव से नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण से बनती है।”
भगवान कृष्ण ने सुदामा के प्रेम को पहचानकर न केवल उनका कष्ट दूर किया, बल्कि उन्हें अपार धन-संपदा भी प्रदान की।
श्रोताओं के हृदय में कथा का प्रभाव
इस सुंदर प्रसंग ने उपस्थित भक्तों के मन में भक्ति और प्रेम की भावना को प्रगाढ़ कर दिया। कथा के माध्यम से संत शास्त्री ने भक्ति, प्रेम और मित्रता का संदेश दिया, जिसे श्रोताओं ने बड़े भाव-विभोर होकर ग्रहण किया।