जो इंडिया / मुंबई
महाराष्ट्र में शिंदे सरकार के बाद अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis) ने अजीत पवार गुट के मंत्री को बड़ा झटका दिया है। अल्पसंख्यक विकास मंत्रालय (Ministry of Minority Development) ;के मामलों में दखल देने के चलते मंत्री संजय राठौड़ की शिकायत पर फडणवीस ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को दर्जा देने की प्रक्रिया को लेकर अहम फैसला लिया है।
यवतमाल जिले के एक शिक्षण संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने के फैसले का विरोध मंत्री संजय राठौड़ ने किया था। उनकी शिकायत के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया और संस्थान को दिए गए अल्पसंख्यक दर्जे के फैसले पर रोक लगा दी।
अब अल्पसंख्यक दर्जा पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन जरूरी
सरकार ने आदेश जारी किया है कि अब किसी भी शिक्षण संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य होगा। पहले ऑफलाइन प्रक्रिया भी मान्य थी, लेकिन उसमें कई त्रुटियां और अनियमितताएं सामने आई थीं।
महत्वपूर्ण बिंदु:
सरकार ने 20 फरवरी को नया आदेश जारी किया।
जुलाई 2017 से पहले अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त संस्थानों को भी ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
अगले 6 महीनों के भीतर सभी संस्थानों को डिजिटल हस्ताक्षर वाला अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
ऑफलाइन प्रक्रिया में गड़बड़ियों के चलते लिया गया फैसला
सरकार का कहना है कि ऑफलाइन प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण कई शिक्षण संस्थानों को बिना किसी आधिकारिक रिकॉर्ड के सरकारी लाभ मिल रहा था। इसे रोकने के लिए अब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और सरकार के पास इनका सही रिकॉर्ड मौजूद हो।
राजनीतिक उठापटक जारी
इस फैसले को अजीत पवार गुट के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि उनके करीबी दत्ता भरणे इस मंत्रालय में हस्तक्षेप कर रहे थे। इससे यह भी साफ होता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता के अलग-अलग गुटों के बीच संघर्ष जारी है।
अब देखना यह होगा कि इस नए फैसले का शिक्षण संस्थानों पर क्या प्रभाव पड़ता है और राजनीतिक गलियारों में इसकी क्या प्रतिक्रिया होती है।