मुंबई। शिंदे शासन में सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों (Specialist doctors in government hospitals) पर क्लर्क की नौकरी करने की नौबत आ गई है। पिछले दो साल से सरकारी अस्पतालों की ऑनलाइन व्यवस्था बंद होने से डॉक्टरों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। इससे गरीब मरीजों को परेशानी हो रही है और उन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि मरीजों का त्वरित पंजीकरण, उनकी जांच रिपोर्ट और मेडिकल हिस्ट्री(Medical History)एक क्लिक पर सभी विभागों के डॉक्टरों को उपलब्ध होने, इलाज में सटीकता के साथ-साथ राज्य के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन हेल्थ केयर मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) की शुरुआत की गई थी। इस प्रणाली की मदद से मरीजों को कतार में खड़े नहीं होना पड़ रहा था। इस प्रणाली की मदद से पंजीकरण नंबर के माध्यम से डॉक्टरों को मरीज के सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध हो रहे थे। हालांकि, यह एचएमआइएस सिस्टम ही काफी समय से बंद है। इसलिए डॉक्टरों पर लिखित कार्य का बोझ बढ़ गया है।
वर्ष २००२३ से सिस्टम है बंद
एचएमआईएस सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी के साथ पैसों के विवाद की वजह से सिस्टम २०२३ से बंद है। राज्य सरकार ने जुलाई २०२३ में इसे दोबारा शुरू करने के लिए २६९ करोड़ का प्रावधान किया। यह काम किसी निजी कंपनी के बजाय सरकारी संस्था नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) को दिया गया, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी यह सिस्टम चालू नहीं हो सका है।
कंप्यूटर से कागज में तब्दील हुई डिजिटल इंडिया
वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी में मरीजों का पंजीयन तेज गति से करने के लिए हमारे विभाग के सिपाहियों को वहां भेजना होता है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया फिर से कंप्यूटर से कागज में तब्दील हो रहा है।
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