ठाणे: कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के उदय ठक्कर(Uday Thakkar of Confederation of All India Traders (CAIT)ने कहा कि वर्तमान रबी सीजन में गेहूं की बिजाई के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी देखी गई है। 2018-19 से 2022-23 के औसत क्षेत्रफल 312.35 लाख हेक्टेयर के मुकाबले, इस वर्ष गेहूं का बिजाई क्षेत्र पिछले सप्ताह तक 200.40 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि से 12.38% अधिक है। यह स्थिति संतोषजनक मानी जा सकती है, लेकिन मौसम की अनुकूलता की कमी के कारण गेहूं के बेहतर उत्पादन की उम्मीद पर सवाल उठ रहे हैं।
ठक्कर ने बताया कि गेहूं का थोक और खुदरा बाजार भाव लंबे समय से सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचा चल रहा है। इस बार सरकार ने एमएसपी को 2275 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जिससे खासकर पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के गेहूं उत्पादकों को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद थी। इन राज्यों में केंद्रीय पूल के लिए गेहूं की सबसे अधिक खरीद होती है।
हालांकि, इन राज्यों में अक्टूबर-नवम्बर के दौरान तापमान में वृद्धि और खेतों की मिट्टी में नमी की कमी के कारण गेहूं की बिजाई में कठिनाई उत्पन्न हुई। इसके साथ ही बीज में अंकुरण की समस्या भी बनी रही। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अनुमान जताया है कि इस वर्ष जाड़े के महीनों (दिसम्बर से फरवरी) में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा, जो गेहूं की फसल के विकास के लिए अनुकूल नहीं है। मौसम विभाग ने यह भी संभावना व्यक्त की है कि देश के कुछ हिस्सों में धुंध और कोहरे का प्रकोप भी देखने को मिल सकता है, जिससे गेहूं और सरसों की फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
मार्च से तापमान बढ़ने की संभावना है, और जब गेहूं की फसल की कटाई अप्रैल में शुरू होती है और मई के अंत तक जारी रहती है, तो उच्च तापमान फसल की प्रगति और दाने की मैच्योरिटी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
इसलिए, गेहूं के बेहतर उत्पादन के लिए मौसम की स्थिति पर कड़ी नजर रखना आवश्यक होगा, ताकि किसानों को समय पर उचित सलाह और मदद मिल सके।