जो इंडिया / मुंबई: मुंबई जैसे महानगर में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। यह घटना सामाजिक रिश्तों की गिरती हुई बुनियाद और मानव संवेदनाओं के पतन का प्रतीक बनकर सामने आई है। आरे कॉलोनी के पास एक वृद्ध महिला, जो स्किन कैंसर से पीड़ित थीं, उन्हें उनके ही पोते ने कचरे के ढेर में फेंक दिया।
बीमारी बनी बोझ, रिश्ता बना कलंक
80 वर्षीय यशोदा गायकवाड़ नाम की बुजुर्ग महिला को तब पुलिस ने कचरे के ढेर से उठाया जब किसी राहगीर ने उन्हें बेहोशी की हालत में देखा और पुलिस को सूचना दी। जब होश में आने पर महिला से पूछताछ की गई, तो उन्होंने बताया कि वह स्किन कैंसर से पीड़ित हैं और इलाज के अभाव में उनके पोते ने उन्हें यहां फेंक दिया।
इलाज से तीन अस्पतालों ने किया इनकार
पुलिस द्वारा तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि तीन अस्पतालों ने वृद्धा के इलाज से मना कर दिया। आखिरकार कूपर अस्पताल में विशेष निवेदन पर महिला का इलाज शुरू हो सका।
पुलिस को खाली मिला घर, पोते समेत परिवार फरार
जब पुलिस ने महिला द्वारा बताए गए पते – मालाड स्थित उनके घर – पर छापा मारा, तो घर पर ताला बंद मिला। पुलिस अब परिवार की तलाश कर रही है। शक जताया जा रहा है कि घटना के वायरल होते ही परिवार फरार हो गया है।
सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों में आक्रोश
इस अमानवीय घटना से पूरे इलाके में गुस्से की लहर है। समाजसेवियों और स्थानीय नागरिकों ने सख्त कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में केवल नैतिक नहीं, कानूनी स्तर पर भी उदाहरण पेश करने की ज़रूरत है, ताकि कोई और ऐसा अपराध न दोहराए।
न्याय और सुधार की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि इस घटना को हत्या के प्रयास की श्रेणी में रखा जाए और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाए। साथ ही वृद्धजनों की सुरक्षा और चिकित्सा के लिए राज्य सरकार को नीतिगत बदलाव करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।