मुंबई। बदलती जीवन शैली के कारण किडनी के रोगियों (Kidney patients) की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके लिए डायलिसिस (Dialysis) जैसे लंबे और महंगे इलाज की जरूरत होती है। इसलिए किडनी रोगियों को सस्ती कीमत पर डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट (Siddhivinayak Temple Trust) की ओर से धारावी में 20 बेड वाला सिद्धिविनायक डायलिसिस सेंटर (Siddhivinayak Dialysis Center) शुरू किया जाएगा। राज्य के कानून और न्याय विभाग (State Department of Law and Justice) ने इस संबंध में फैसले की घोषणा की है।
मुंबई में 100 डायलिसिस मशीनों की योजना प्रति दिन कम से कम 300 रोगियों का इलाज करने का लक्ष्य
सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर के पीछे 12 बेड का डायलिसिस सेंटर शुरू किया। गोरेगांव प्रबोधन संस्था में आठ बेड का डायलिसिस सेंटर शुरू किया गया। इसी तरह मुंबई में प्रतिदिन 300 मरीजों का 100 मशीनों पर तीन शिफ्टों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करने की सिद्धिविनायक मंदिर और राज्य सरकार की योजना है। कारण डायलिसिस उपचार महंगा और लंबा होने से अधिकांश रोगी लंबे समय तक उपचार लिए बिना उसे बीच में ही छोड़ देते हैं। किडनी के मरीजों की शारीरिक स्थिति को देखते हुए ये मरीज अपने घर के पास के डायलिसिस सेंटर में इलाज कराना पसंद करते हैं। इसलिए मंदिर ट्रस्ट ने मुंबई के विभिन्न हिस्सों में धर्मार्थ संस्थाओं और सेवाभावी संस्थाओं की ओर से डायलिसिस केंद्र शुरू करने की योजना बना रही है।
85 लाख प्रति वर्ष खर्च
इस योजना के हिस्से के तौर पर सिद्धिविनायक मंदिर और धारावी की साईं मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल व अनुसंधान सेंटर के माध्यम से 10 बेड का डायलिसिस सेंटर शुरू करने की राज्य के कानून और न्याय विभाग ने मंजूरी दी है। इस सेंटर में मरीज से रियायत दर यानी 250 रुपये लिए जाएंगे। लिहाजा मंदिर ट्रस्ट एक मरीज पर 900 रुपए खर्च करने जा रहा है। 10 बेड वाले इस सेंटर में हर साल 9,360 मरीजों का डायलिसिस होगा। इसके लिए ट्रस्ट पर हर साल 85 लाख रुपये का बोझ पड़ेगा। ट्रस्ट के बजट में चिकित्सा परियोजनाओं और डायलिसिस पर दैनिक खर्च के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया है।