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महाराष्ट्र राज्य हिन्दी अकादमी के कार्याध्यक्ष श्री अभिलाष अवस्थी ने मुख्य अतिथि के रूपमें कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। जहाँ डॉ. अनुज ने अपनी रचनाओं से कार्यक्रम को भावुक कर दिया, तो वहीं सागर त्रिपाठी ने आयोजन को मुकम्मल कामयाब बनाया। जहाँ नीलिमा पांडेय ने कविता को ग्रामीण स्त्री के जीवन और अध्यात्म से जोड़ा, तो वहीं गीतकार – शायरा तबस्सुम ने अपनी शायरी माहौल से रूमानी कर दिया। कार्यक्र्म संयोजक फ़िल्म लेखक व कहानीकार कवि , राकेश कुमार पांडेय “रितेश” ने पुरवाई नाम की निर्गुण कविता सुनाई तो लोग मंत्रमुग्ध हो गये ।
डॉ. दयानंद तिवारी जी अपनी एक गंभीर रचना से विश्व शांति भंग करने वालों पर करारा प्रहार किया। संतोष पांडेय ने संबधों कड़वा सच उजागर किया तो डॉ. विनीता सहल नयनों की भाषा व डॉ. सुमीता अरोरा ने दोस्त की शान का बखान किया। कुल मिलाकर बाबू जी स्वर्गीय आत्मा प्रसाद पांडेय व माता जी स्वर्गीया श्रीमती शारदा पांडेय की स्मृति में एक अविस्मरणीय साहित्यिक संध्या का आयोजन हुआ। मुझे भी इस कार्यक्रम का संचालन करके बहुत अच्छा लगा।अपने मित्र अनुज जी के लिए मेरे निवेदन पर इतनी खूबसूरत शाम सजाने के लिए मैं राकेश कुमार पाण्डेय (रितेंश)जी भाईसाहब का बहुत आभारी हूँ। उनका स्नेह यों ही बना रहे यही आकांक्षा है।
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