मुंबई: पिछले साल पूरी दुनिया में 28 लाख मौत मोटापे की वजह से हुई हैं। इस मामले में हिंदुस्थान भी पीछे नहीं है। हमारे देश के 13 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे के शिकार हो चुके हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या 29 साल से कम आयु के युवाओं की है। बताया गया है कि देश में 13 फीसदी लड़के मोटापे के शिकार है, जबकि 39 फीसदी अधिक वजन से जूझ रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इसके लिए जीवनशैली मुख्य रूप से बदली जिम्मेदार है।
कोविड के दौरान दो साल की ऑनलाइन पढ़ाई और मोबाइल के बढ़े अधिक उपयोग की वजह से छात्रों का स्क्रीन टाइम बढ़ा गया। बच्चे रात को 11-12 बजे सोते हैं। सुबह स्कूल का समय 7 बजे का होता है लेकिन स्कूल दूर होने के चलते वैन जल्दी आ जाती है, जिस कारण उन्हे जल्दी उठ जाना होता है। ऐसे में नींद पूरी न होने के कारण छात्रों का कक्षा में पढ़ाते समय ध्यान न लगना, चिड़चिड़ापन, सुस्ती आदि के चलते वे अधिक आलसी हो जाते हैं। कोई भी शारीरिक श्रम करने की मानसिकता उनमें नहीं बचती हैं। इस वजह से लड़के नकारात्मक सोचने लगते हैं। इसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। अब ऐसी तस्वीर नजर आने लगी है कि एक जगह बैठे बच्चे माता-पिता द्वारा दिए गए काम को अनसुना कर देते है।
फिजिकल एक्टिविटी कम होना बन रहा मोटापे का कारण
स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है। यहां खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन बच्चों की शारीरिक गतिविधि कौशल को बढ़ाने और खेलों में रुचि विकसित करने के लिए किया जाता है। लेकिन आजकल स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले लड़कों में फिजिकल एक्टिविटी कम होने लगा है, जिसके चलते उनमें मोटापे की समस्या बढ़ती हुई दिख रही है। बैरिएट्रिक सर्जन डॉ. चिंतन पटेल के मुताबिक मोटापा को गंभीरता से लेना होगा। कम उम्र में लड़कों द्वारा थोड़ा सा भी काम करने पर भी उन्हें सांस लेने में तकलीफ, पसीने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, बालों का सफेद होना, डायबिटीज, चश्मा जैसी कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
बच्चे हो गए हैं अलसी
आज के बच्चे बहुत आलसी हैं। शारीरिक परिश्रम न होने के कारण उन्हें हाथों-पैरों में दर्द की शिकायत रहती है। इसके समाधान के तौर पर स्कूल के करीब रहने वाले छात्रों को यातायात नियमों के बारे में बताकर साइकिल चलाने के प्रति बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही सप्ताह में एक बार छात्रों और शिक्षकों के लिए एक योग सत्र आयोजित किया जाना चाहिए। फिलहाल कई स्कूलों में योग सत्र का आयोजन हो रहा है।