जो इंडिया/भारत/अमेरिका: Guar Gum Export from India,
भारत विश्व का सबसे बड़ा ग्वार गम (Guar Gum
लेकिन हाल ही में भारत-अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में आई टैरिफ (Tariff) को लेकर अनिश्चितता ने इस बाजार को झकझोर दिया है। अमेरिका ने कई भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाने की संभावना जताई है। यदि ग्वार गम इस छूट सूची (Exclusion List) से बाहर हो जाता है, तो भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कीमतों में उतार-चढ़ाव
पिछले कुछ महीनों में ग्वार गम की कीमतों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखा गया।
मार्च 2025 में अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ने से कीमतों में 15 प्रतिशत तक का उछाल आया।
जुलाई 2025 में तो ग्वार गम की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुँच गईं।
लेकिन अगस्त तक कीमतें गिरकर पिछले दो सालों के न्यूनतम स्तर यानी करीब ₹100 प्रति किलो पर आ गईं।
कीमतों में यह गिरावट अच्छे मानसून और अनुमानित अधिक उत्पादन के कारण आई है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में जल जमाव (waterlogging) की स्थिति से फसल प्रभावित होने की आशंका भी जताई जा रही है।
निर्यात स्थिति
2025 की पहली छमाही में भारत से 3.5 लाख मीट्रिक टन ग्वार गम और ग्वार उत्पादों का निर्यात हो चुका है। यह रफ्तार बनी रही, तो इस साल भारत निर्यात का नया रिकॉर्ड बना सकता है।
मई 2025 में भारत से ग्वार गम का निर्यात 3,000 टन रहा, जो 2019 के बाद सबसे ज्यादा है।
2025-26 के लिए कुल निर्यात का अनुमान लगभग 5.5 लाख मीट्रिक टन है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 12 प्रतिशत अधिक होगा।
सबसे बड़ा आयातक अमेरिका है, जहाँ इसका उपयोग शेल ऑयल और गैस निकालने की प्रक्रिया (Fracking) में होता है। इसके अलावा जर्मनी, नीदरलैंड, रूस और नॉर्वे भी भारत से बड़े पैमाने पर ग्वार गम खरीदते हैं।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
टैरिफ का खतरा: यदि अमेरिका ने ग्वार गम पर उच्च टैरिफ लागू किया, तो भारतीय निर्यात महँगा हो जाएगा और प्रतिस्पर्धा में गिरावट आ सकती है।
मांग में मजबूती: तेल-गैस उद्योग के अलावा, ग्रीन एनर्जी, फार्मा और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में ग्वार गम की मांग लगातार बढ़ रही है।
दीर्घकालीन अनुबंध: वैश्विक कंपनियाँ आपूर्ति की अनिश्चितता से बचने के लिए भारतीय निर्यातकों के साथ लंबे समय के अनुबंध करने लगी हैं।