जो इंडिया / नई दिल्ली।
गौरतलब है कि फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना करार देते हुए उसे पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों सौंप दिए थे। इस फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ठाकरे गुट की दलील है कि चुनाव आयोग का यह फैसला असंवैधानिक और विधायिका में अवैध तरीके से की गई गिनती के आधार पर लिया गया।
ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से निवेदन किया कि जब तक मुख्य याचिका पर अंतिम फैसला नहीं होता, तब तक चुनाव आयोग को शिंदे गुट को ‘धनुष्य-बाण’ चिन्ह देने से रोका जाए।
कोर्ट ने फिलहाल इस पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार किया लेकिन यह जरूर कहा कि अगस्त में इस मामले की विस्तृत सुनवाई करके दोनों गुटों की दलीलें सुन ली जाएंगी और मामले का निपटारा प्राथमिकता से किया जाएगा। साथ ही अदालत ने दोनों पक्षों से कहा कि अब इस मामले में नई याचिकाएं दाखिल न की जाएं।
ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी अपील की कि महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले इस विवाद को निपटा दिया जाए ताकि चुनावों में कोई असमंजस न हो।
अब दोनों गुटों की नजरें सुप्रीम कोर्ट की अगस्त में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस बात का फैसला होगा कि असली शिवसेना और उसके ‘धनुष्य-बाण’ पर किसका हक है।