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BMC: दोषी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा

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मुंबई। मुंबई महानगर पालिका के डी विभाग के कर्मचारियों ने पत्नी के नाम पर टेंडर लेकर कदाचार किया। जांच अधिकारियों ने दोनों ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने और इन दोषी कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। सूचना का अधिकार कार्यकर्ता संतोष दौंडकर ने मांग की है कि कोविड काल में टेंडर में वित्तीय घोटाला सामने आने के बाद मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को सौंपी जाए।
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मुंबई पालिका के डी विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रत्नेश भोसले और अर्जुन नारले ने अपनी पत्नी की कंपनी को कोविड सेंटर के लिए जरूरी कामों का ठेका दिया है। इसके जरिए उसने मनपा से लाखों के ठेके हासिल किए। भोंसले और नारले ने अपनी-अपनी पत्नियों के नाम पर आरआर एंटरप्राइजेज और श्री एंटरप्राइजेज नाम से कंपनियां स्थापित कीं। इन कंपनियों को ग्रांट रोड, मालाबार हिल में 2019 और 2021 के बीच 65.36 लाख और 1.11 करोड़ रुपये का अनुबंध। आरटीआई कार्यकर्ता संतोष दौंडकर द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन में यह बात सामने आई है।

सीवरेज संचालन विभाग के मुख्य अभियंता ने इसका संज्ञान लेते हुए इन दोनों कर्मचारियों को निलंबित कर जांच शुरू कर दी है।मनपा के अपर आयुक्त (शहर) द्वारा की गयी जांच में डी संभाग के 1 आरक्षक, 1 जल निकासी सहायक, 3 कार्यपालक अधिकारी, 3 सहायक अधिकारी, 2 माध्यमिक अधिकारी एवं 2 अवर अभियंता को दोषी पाये जाने पर जांच करने का निर्देश दिया गया है। इस जांच में यह बात सामने आई है कि किराया वसूली बंगला सफाई सहायक को सेवा निवास के रूप में दिया गया था। इस पर जांच अधिकारी ने उंगली उठाते हुए उन्हें तत्काल सेवा से निलंबित करने का निर्देश दिया है।

सीएजी के माध्यम से कोविड काल में किए गए कार्यों की जांच चल रही है। कैग ने वार्ड कार्यालय स्तर पर जांच शुरू कर दी है। डी विभाग में हुए इस घोटाले के खुलासे से कैग की जांच को बल मिला है। इस तरह की बात से यह आशंका जताई जा रही है कि कोविड काल में वार्ड कार्यालय स्तर पर बड़े पैमाने पर घोटाले हुए हैं।

बिना वरिष्ठ अधिकारियों के आशीर्वाद के कोई सिपाही इतना बड़ा घोटाला नहीं कर सकता। इस मामले की गहन जांच की जरूरत है। उसके लिए, राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक विभाग में शिकायत दर्ज करना और जांच करना आवश्यक है।
– संतोष दौंडकर, शिकायतकर्ता

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