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महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक फैसला: OBC आरक्षण विधेयक विधानसभा में पास, MP पैटर्न पर इलेक्शन करवाने के कई अधिकार राज्य सरकार ने अपने हाथ में लिए

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मुंबईएक घंटा पहले

कॉपी लिंकबता दें कि महाराष्ट्र ओबीसी आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अदालत ने बिना आरक्षण के निकाय चुनाव करवाने का निर्देश भी चुनाव आयोग को दिया था। - Dainik Bhaskar

बता दें कि महाराष्ट्र ओबीसी आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अदालत ने बिना आरक्षण के निकाय चुनाव करवाने का निर्देश भी चुनाव आयोग को दिया था।

सोमवार को ओबीसी आरक्षण विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा में पेश किया गया। कुछ देर की बहस के बाद सदन ने सर्वसम्मति से इसे विधेयक को पारित कर दिया है। अब मध्यप्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी इलेक्शन करवाने के कई अधिकार चुनाव आयोग की जगह राज्य सरकार के हाथों में होंगे। जिनमें आरक्षण तय करने की शक्ति भी शामिल है। इसके विधेयक के बाद अब राज्य में 27% ओबीसी आरक्षण के साथ निकाय चुनाव हो सकेंगे। नए विधेयक के अनुसार चुनाव आयोग तब तक चुनाव की घोषणा नहीं कर पाएगा, जब तक सरकार चुनाव आयोग को वार्डों के गठन की रिपोर्ट नहीं देती।

नए विधयेक के बाद सरकार के पास अब वार्ड बनाने के लिए तीन से चार महीने का समय होगा। इस अवधि के दौरान, सरकार ओबीसी राजनीतिक आरक्षण के लिए डेटा एकत्र कर सकती है। इस विधेयक के पास हो जाने से जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायतों और मुंबई नगर निगम, महाराष्ट्र नगर निगम और महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायतों और ग्राम पंचायत में चुनाव करवाने और आरक्षण लागू करने की क्षमता होगी। इसके बाद चुनाव आयोग के पास अब वार्ड संरचना और आरक्षण तय करने की शक्ति नहीं होगी।

MP पैटर्न को महाराष्ट्र में किया जाएगा लागू

राज्य के फूड और सिविल सप्लाई मिनिस्टर छगन भुजबल ने सोमवार को बताया कि महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार ‘मध्य प्रदेश पैटर्न’को लागू करने जा रही है। खास यह है कि इस नए विधेयक को भाजपा का भी समर्थन था। भुजबल के मुताबिक, ओबीसी आरक्षण के बिना स्थानीय निकायों के चुनाव करवाने की मजबूरी ना हो, इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने जिस तरह का विधेयक लाया वैसा ही विधेयक महाराष्ट्र सरकार ने आज विधानसभा में पेश किया।

इस तरह लागू किया जा सकता है ‘मध्य प्रदेश पैटर्न’ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में ट्रिपल टेस्ट से जुड़ी मुश्किलें सामने आ रही हैं। ट्रिपल टेस्ट के बिना आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह नियम देश भर में लागू है। इस वजह से महाराष्ट्र में कई जगहों पर ओबीसी राजनीतिक आरक्षण के बिना ही चुनाव करवाने पड़े। छगन भुजबल ने बताया कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक में भी ये नियम लागू हुए। लेकिन मध्य प्रदेश ने इसके तोड़ में अध्यादेश जारी किया। चुनाव आयोग के कुछ अधिकारों की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने अपने ऊपर ले ली। इनमें प्रभाग रचना करना, यह विचार करना कि कहां आरक्षण देना संभव है या नहीं, यह मध्य प्रदेश सरकार अब खुद कर रही है। नए पास हुए विधेयक के बाद अब यही अधिकार महाराष्ट्र को भी मिल गए हैं। इसके बाद आरक्षण को लेकर चुनाव आयोग का इसमें दखल नहीं रहेगा। अब चुनाव आयोग का अधिकार सिर्फ चुनाव करवाना ही रह जाएगा। भुजबल ने बताया कि मध्य प्रदेश में यह प्रोसेस सफल रहा है। इससे वहां समय की भी बचत हुई है।

विपक्षी पार्टियों की सहमति ली गईविधेयक को सदन में पेश करने से पहले डिप्टी सीएम अजित पवार, विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस, प्रवीण दरेकर समेत कई नेताओं ने आपस में बैठा की है।

सुप्रीम कोर्ट से सरकार को मिला था बड़ा झटकाबता दें कि महाराष्ट्र ओबीसी आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अदालत ने बिना आरक्षण के निकाय चुनाव करवाने का निर्देश भी चुनाव आयोग को दिया था। इसे राज्य सरकार के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा था। महाविकास अघाड़ी सरकार इसे लेकर बीजेपी पर हमलावर थी। अब विधेयक के पास हो जाने के बाद राज्य में नकाय चुनावों में 27% OBC आरक्षण लागू हो सकेगा।

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